पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/२२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
'नवजीवनमाला' की पुस्तकें


१. गीताबोध-महात्मा गांधी-कृत गीता का सरल तात्पर्य-(दूसरी वार)

२. मंगल प्रभात-महात्मा गांधी के जेल से लिखे सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य आदि व्रतों पर प्रवचन ( चौथी वार) -


३. अनासक्तियोग-महात्मा गांधीकृत गीता की टीका (सातवीं वार)


४. सर्वोदय-रस्किन के 'Unto This Last' का गांधीजी द्वारा किया गया रूपान्तर (तीसरी बार) -


५. नवयुवकों से दो वात-प्रिंस क्रोपाटकिन के 'Arord to Youngmen' का अनुवाद (तीसरी चार) -


६. हिन्द-स्वराज-महात्मा गांधी की भारत की मौजू समस्याओं पर लिखी गई प्राचीन पुस्तक जो आज भी ताजी है-- (दूसरी बार)


७. गांधीजी का मार्ग-प्राचार्य कृपलानी ने इस पुस्तिका में बड़ी सरलता से बताया है कि आज के कशमकश के जमाने में हमें गांधीजी के बताये रास्ते से ही आजादी मिल सकती है।


८. किसानों का सवाल-डाल अहमद की इस छोटी-सी पुस्तिका में भारत के इन गरीव प्रतिनिधियों के सवाल पर बड़ी सुन्दरता से विचार किया गया है । ( तीसरी बार )


९. ग्राम-सेवा-ग्राम-सेवा के रूप, साधन और प्रकार पर महात्मा गांधी ने इसमें विशद प्रकाश डाला है (दूसरी बार)-)


१०. खादी और गादी की लड़ाई-प्राचार्य विनोबा के खादी और समाज-सेवा-सम्बन्धी लेख और व्याख्यानों का संग्रह )


११. मधुमक्खी -पालन-श्री चित्रे ने इस पुस्तक में मधु-मक्खियों के पालनके बारे में प्रकाश डाला है और बताया है कि किस प्रकार हम इस ग्रामोद्योग के द्वारा वेकारों को काम दे सकते हैं ।