भाषा अर्द्धमागधी है। इसी ने पूर्वी हिन्दी को पैदा किया है। डाक्टर साहब ने इस पूर्वी हिन्दी के तीन भाग माने हैं—अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी। जिस प्रान्त में जो बोली अधिकता से बोली जाती है उसी के अनुसार उसका नाम रक्खा गया है।
पूर्वी हिन्दी नीचे लिखी हुई जगहों में बोली जाती है—
(१) अवध में—हरदोई और फैज़ाबाद के कुछ हिस्से छोड़ कर।
(२) युक्त-प्रान्त में—बनारस और हमीरपुर के बीच में।
(३) पश्चिमोत्तर-बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और छोटा नागपुर में।
(४) मध्य-प्रदेश में—छत्तीसगढ़ तथा जबलपुर और मँडला के जिलों में।
यह भाषा जिन खण्डों में बोली जाती है उनकी लम्बाई कोई ७५० मील, चौड़ाई २५० मील और क्षेत्रफल १,८७,५०० वर्ग-मील है। कितने आदमी कौन बोली बोलते हैं, इसका हिसाब नीचे है—
अवधी | ...... | १,६०,००,००० |
बघेली | ...... | ४६,१२,७५६ |
छत्तीसगढ़ी | ...... | ३७,५५,३४६ |
कुल जोड़— | २,४३,६८,७९९ |
योरप में हंगारी, पोर्चुगल और बलगेरिया नाम के तीन छोटे छोटे देश हैं। अवधी बोलनेवालों की संख्या हंगारी के निवासियों की संख्या के बघेली बोलनेवालों की संख्या पोर्चुगल के निवासियों की संख्या के और छत्तीसगढ़ी बोलनेवालों की संख्या