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पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/२२५

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हिन्दी-नवरत्न

लेखकों ने तुलसीदास के जन्म-समय के विषय में लिखा है कि उनका---'जन्म ... ... ... ... संवत् १५८९ में हुआ था'। बस, जैसे उन्हें गोस्वामी जी का जन्मपत्र मिल गया हो। प्रमाण-स्वरूप इस विषय में कुछ तो लिखना था। डाक्टर ग्रियर्सन आदि ने भी यदि तुलसीदास का जन्म-संवत् यही माना तो मानने दीजिए। वे इतिहासकार होने का दावा नहीं करते। परन्तु नवरत्न के कर्ताओं ने इस पुस्तक का इतिहास से घनिष्ठ सम्बन्ध बतलाया है। अतएव उन्हें तो अपने इस मत के पुष्टीकरण में कुछ ज़रूर ही कहना था।

इसी तरह आप लोगों ने भूपति कवि के विषय में लिखा है कि उन्होंने संवत् १३४४ में भागवत के दशम स्कन्ध का अनुवाद हिन्दी में किया। परन्तु मुंशी देवीप्रसाद जी ने इस बात को निर्मूल सिद्ध कर दिखाया है। उन्होंने भूपति ही के ग्रन्थ से यह प्रमाणित कर दिया है कि उसकी रचना संवत् १७४४ में हुई थी, १३४४ में नहीं।

चालुक्य-वंशी कुमारपाल, सन् ११४३ ईसवी के लगभग, अहणिमलवाड़ का राजा था। उसका एक चरित जिनमण्डन गणि ने लिखा है; दूसरा जयसिंह सूरि ने; तीसरा चरित्रसुन्दर गणि ने; और चौथा, प्राकृत में, हेमचन्द्र ने। इनमें से कोई अप्राप्य नहीं सुना गया। परन्तु नवरत्न के लेखक कहते हैं---'संवत् १३०० के लगभग कुमारपालचरित्र नामक एक ग्रन्थ किसी कवि ने बनाया पर यह ग्रन्थ अब अप्राप्य है"। किस कुमारपालचरित से आपका मतलब है, नहीं मालूम। क्या किसी हिन्दी के भी कुमारपालचरित का आपको पता मिला है? यदि हां, तो उसके विषय में आपको अपने मन की बात साफ साफ लिखनी थी। इतिहास के