पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/२४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३९
हिन्दी नवरत्न

( ६ ) 'मरण आदि की अनुमानैं अवलम्बित हैं' ( पृष्ठ २१९)

( १० ) 'दोनों कथानक एकही व्यक्ति की रचना नहीं हो सकती' ( पृष्ठ २०)

( ११ ) 'बदचलन स्त्रियों के नाक काटने की रीति' ( पृष्ठ ५४ )

( १२ ) 'कृष्णानन्द की सच्ची भक्ति .......अधिकता से नहीं रही' ( भूमिका, पृष्ठ २१ )

'कृष्ण की भक्ति' का अर्थ तो सभी समझ सकते हैं, 'कृष्णानन्द की भक्ति'--का अर्थ बिना लेखकों की व्याख्या के शायद ही कोई समझ सके।

शब्द-दोष 'अनुमति' शब्द का अर्थ, आपटे के अनुसार, आज्ञा और स्वीकृति है। वह अंगरेज़ी शब्द Permission, Consent और Approval के अर्थ में विशेष करके व्यवहृत होता है। परन्तु लेखकों ने उसका प्रयोग सम्मति और सलाह के अर्थ में किया हैं। देखिए---

( १ ) 'उनकी अनुमति थी कि जिस कविता का बुध आदर न करें वह वृथा है, ( पृष्ठ ४० )

(२) 'हम उसे......."ललितललाम पढ़ने की अनुमति देंगे' ( पृष्ठ ३०९ )।

लेखक-महोदयों ने इस शब्द का कई जगह इन्हीं अर्थो में व्यवहार किया है। किस कोश की आज्ञा से, मालूम नहीं।

हिन्दी-नवरत्न के लेखक पार्वती को 'पारवती' (पृष्ठ ३९), अवतार को ' औतार' (पृष्ठ ८१) और श्रोषधि या औषध को 'औषधि' (पृष्ठ ८९ ) लिखते हैं।