पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/२४७

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हिन्दी नवरत्न

कहना चाहते हैं कि ये प्रयोग हिन्दी में बिलकुल ही नये हैं। 'नेचरनिरीक्षण' भी एक नया सामासिक शब्द लेखकों ने इस पुस्तक में कई जगह लिखा है। आप लोगों के प्रयुक्त 'पद- निर्मायक' और 'निःप्रयोजनीय' शब्द भी नूतनता से खाली नहीं। नायिका को तो आपने सैकड़ों जगह 'नायका' लिख डाला है।

'सूक्ष्म' शब्द का प्रधान अर्थ बारीक है। वह अल्पार्थक भी है। पर इस पिछले अर्थ में वह बहुत कम प्रयुक्त होता है। लेखकमहोदयों ने इस पुस्तक में उसे विशेषतः अल्पार्थक ही माना है---

(१) आश्रयदाताओं के विषय इतना लिख कर अब हम साहित्य इतिहास का सूक्ष्मतया कुछ वर्णन करते हैं' । भूमिका पृष्ठ १३

(२) 'इसी स्थान पर साहित्य का यह सूक्ष्म इतिहास समाप्त होता है' । भूमिका पृष्ठ ३०

(३) या तो ये महाराज [सूरदास जी] बहुत सूक्ष्म वर्णन करते हैं या पूर्ण विस्तार के साथ'। पृष्ठ १६०।।

(४) हम विस्तारपूर्वक विहारी के कुलादि के विषय न लिख कर सूक्ष्मतया अपना मत प्रकाशित करते हैं'। पृष्ठ २२१ ।

इस 'सूक्ष्म और सूक्ष्मतया' के ऐसे ही प्रयोग इस पुस्तक में, जगह जगह पर, पाये जाते हैं।

दूसरी बहुत बड़ी विलक्षणता इस पुस्तक में यह है कि 'विषय' शब्द के आगे 'में' प्रायः इसमें रक्खा ही नहीं गया। ऊपर नं० [१] और [४] के उदाहरणों में तो इस विलक्षणता के दर्शन आपको हो ही गये। दो चार औरों के भी दर्शन नीचे कीजिए--- स० स०-१६