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११६. पत्र: गृह-मन्त्रीको

अगस्त १२, १९११

गृह-मन्त्री
प्रिटोरिया
महोदय,

आपका... तारीखका कृपापत्र प्राप्त हुआ। जो लोग समझौतेके अन्तर्गत आ जाते हैं उनकी सूची मै २१ तारीख तक पूरी कर लेनेकी कोशिश करूँगा। किन्तु जो इस समय भारतमें हैं, उनकी पूरी सूची तैयार करना सम्भव नहीं जान पड़ता। मुझे आशा थी कि मैं इसके बहुत पहले ही पूरी सूची बना लूंगा, किन्तु एशियाई पंजीयकके नाम अपने पत्रमें सूचित कारणोंसे यह सम्भव नहीं हुआ।

आपका

टाइप की हई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५५८६) से।

११७. पत्र: छगनलाल गांधीको

श्रावण बदी ३ [अगस्त १३,१९११]

चि० छगनलाल,

किताबें तुम अच्छी लाये हो। 'भर्तृहरि-शतक' की [मूल] संस्कृत-प्रति यदि गुजराती अथवा अंग्रेजी अनुवादके साथ हो तो पढ़नके लिए मुझे भेजना।

१. यह पत्र गांधीजीके कागजातमें मिला था और सम्भवत: इसका मसविदा उन्हींका तैयार किया हुआ है। पत्र भेजा गया था या नहीं, यह ज्ञात नहीं है। यदि भेजा गया हो तो गृह-मन्त्रीके उल्लिखित पत्रकी तारीख, पत्र छोड़ते समय, भर दी गई होगी।

२. सम्भव है, यह वही पत्र हो जिसका उल्लेख गांधीजीने मगनलाल गांधीके नाम लिखे गये अपने १७-७-१९११के पत्रमें किया था।

३. यह उपलब्ध नहीं है।

४. पत्रकी पहली पंक्तिसे ज्ञात होता है कि यह श्री छगनलाल गांधीके सन् १९११ में दक्षिण आफ्रिका लौटनेके कुछ ही दिन बाद लिखा गया था। इसकी पुष्टि इस बातसे भी होती है कि अगस्त, १,१९११ को छगनलाल गांधीको लिखे पत्र (पृष्ठ १२७-२८) में वर्णित विषयको- अर्थात् श्री छगनलालका यह अनुरोध कि उनपर जो कर्ज है उसे उस रकमके बदले में मुजरा कर दिया जाये जो उन्होंने फीनिक्समें अपने हिस्सेकी जमीनका सुधार करानेमें खर्च किया है--हम इस पत्रमें भी जारी पाते हैं । सन् १९११ में श्रावण बदी ३, अगस्तकी १३ तारीखको पड़ी थी।

५. इग्लैंड और भारतकी यात्रा करके लौटते हुए श्री छगनलाल ये पुस्तकें ले आये थे।