५४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय " निषिद्ध प्रवासी " शब्द समुच्चय में निम्नलिखित लोग आते हैं: (क) ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो इमला इम्तहान पास नहीं कर सकता हो; अर्थात् जब कोई प्रवासी अधिकारी अपनी पसन्दकी किसी भी भाषाके कमसे कम पचास शब्दका इमला बोले और वह व्यक्ति उक्त अधिकारीको सन्तोष देने योग्य ढंगसे उस भाषाके उन शब्दोंको न लिख सके; (ख) ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसे मन्त्री किसी भी सरकार या कूटनीतिक सूत्र (चाहे वह ब्रिटिश हो या विदेशी) से प्राप्त सूचना के आधारपर संघके लिए अवांछित निवासी अथवा अभ्यागत समझे । ( खण्ड ४) । छूट-सम्बन्धी धारामें निम्नलिखित लोग शामिल हैं: (ङ) खण्ड सातकी धाराओं का बन्धन मानते हुए ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका जन्म संघमें सम्मिलित दक्षिण आफ्रिका के किसी हिस्सेमें हुआ हो; (च) खण्ड सातकी धाराओंका बन्धन मानते हुए ऐसा कोई भी व्यक्ति जो प्रवासी अधिकारीको यह विश्वास दिला दे कि वह अब भी संघ अथवा संघके किसी प्रान्तका अधिवासी और उसमें रहनेका अधिकारी है, और साथ ही वह उसे यह प्रतीति भी करा दे कि संवसे अपनी अनुपस्थितिके कालमें वह वैसा [ निषिद्ध ] व्यक्ति नहीं हो गया है, जैसे व्यक्तिका विवरण ऊपरके अन्तिम खण्डके अनुच्छेद (ख), (घ), (ङ), (च) या (छ) में दिया गया है; (छ) खण्ड सातकी धाराओंका बन्धन मानते हुए, ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके सम्बन्ध में प्रवासी अधिकारीको यह विश्वास हो जाये कि वह निम्नलिखित प्रकारके व्यक्तिकी पत्नी या सोलह सालसे कम उम्रका बच्चा है : (अ) किसी ऐसे व्यक्तिकी पत्नी या बच्चा, जिसे ऊपरके अन्तिम खण्डके अनुच्छेद (क) में वर्णित इमला इम्तहान पास कर लेनेके कारण संघमें प्रवेश करनेकी अनुमति मिल गई है; या (आ) किसी ऐसे व्यक्तिकी पत्नी या बच्चा, जिसका वर्णन इस खण्डके अनुच्छेद (च) में कर दिया गया हो; किन्तु शर्त यह है कि उस पत्नी या बच्चे (प्रसंगानुसार जो भी हो) को उन वर्गों में नहीं आना चाहिए जिन वर्गोका वर्णन ऊपरके अन्तिम खण्डके अनुच्छेद (ग), (घ), (ङ), (च) या (छ) में किया गया है । ( खण्ड ५ ) १ (१) प्रत्येक निषिद्ध प्रवासी, जो इस कानूनके लागू होनेके बादसे संघ में प्रवेश करेगा या यहाँ पाया जायेगा, अपराधी माना जायेगा और निम्नलिखित सजाओंका भागी होगा : (क) बिना जुर्मानेका विकल्प दिये अधिकसे-अधिक तीन महीनेकी सादी या सख्त कैद; और (ख) मन्त्री द्वारा जारी किये गये वारंटके आधारपर संघसे किसी भी समय निष्कासन । (२) निष्कासित किये जाने तक निषिद्ध प्रवासीको ऐसी हिरासत में रखा जा सकता है, जिसकी व्यवस्था विनियम द्वारा की गई हो । (३) यदि उपर्युक्त कैद या हिरासत में रखे गये निषिद्ध प्रवासीके सम्बन्धमें सन्तोषप्रद ढंगले मन्त्रीको यह आश्वासन दिया जा सके कि निषिद्ध प्रवासी एक महीनेके भीतर संघसे चला जायेगा और फिर लौटकर वहाँ नहीं आयेगा तो उसे कैद या हिरासतसे मुक्त किया जा सकता है । (४) कारावासकी ऐसी कोई भी अवधि निषिद्ध प्रवासीक संघसे निष्कासित किये जाते ही समाप्त हो जायेगी । ( खण्ड ६) भले ही कोई व्यक्ति इस अधिनियमके लागू होनेके समयसे अथवा इसके बाद किसी प्रान्त-विशेषका अधिवासी और वहाँ रहनेका अधिकारी हो, किन्तु इस अधिनियमकी किसी भी धाराकी व्याख्या उसे ऐसे किसी दूसरे १. यहाँ इंडियन ओपिनियनमें टिप्पणी स्वरूप यह वाक्य जोड़ दिया गया है: “अनुच्छेद (ग), (ङ), (च), और (छ) रोग-विशेष से बीमार लोगों और अपराध-विशेषके लिए दण्डित लोगोंसे सम्बन्धित है । ” Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५८४
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