तारीखवार जीवन-वृत्तान्त 6247910 मार्च २२ के पूर्व : इब्राहीम कासिमके नाबालिग पुत्र हसन मियाँके मामलेपर "इंडियन ओपिनियन' में टिप्पणी करते हुए गांधीजीने लिखा कि संघ सरकार प्रवेशके इच्छुक नाबालिगोंके जन्म-प्रमाणपत्र पेश करनेपर जो इतना जोर दे रही है उससे मालूम पड़ता है कि वह बच्चोंके प्रवेशमें कठिनाइयाँ उत्पन्न करना या उसे बिलकुल बन्द करना चाहती है । मार्च २४ : गृहमन्त्रीके निजी सचिवको लिखा कि पिछले वर्ष में प्रवेशके लिए गांधीजीने शिक्षित ब्रिटिश भारतीयोंके जो छः नाम भेजे थे उनमें से जिन दोको एशियाई पंजीयकने नामंजूर किया था उन्हें अस्थायी समझौते की शर्त के अनुसार पुनः ले लिया जाये। पूछताछ की कि क्या अस्थायी समझौतेको मूर्त रूप देनेवाला प्रस्ता- वित प्रवासी विधेयक संसदके वर्तमान अधिवेशन में पेश किया जायेगा । मार्च २६ : बाई मरियमके मामलेमें दिये गये न्यायमूर्ति सर्लके फैसलेपर विचार करने के लिए जोहानिसबर्ग में तमिल कल्याण समितिकी बैठक । मार्च २९ के पूर्व : सर्वोच्च न्यायालयके नेटाल खण्डपीठके मास्टरने एक मुसलमान विधवा बाई जनूबीके मामलेमें उत्तराधिकार कर निश्चित करनेके लिए उसके विवाहको वैधतापर सन्देह व्यक्त किया और माँग की कि इस सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालयका निर्णय प्राप्त किया जाये । मार्च २९ : गांधीजीने उक्त मामलेपर 'इंडियन ओपिनियन' में टिप्पणी करते हुए एक पुराने कानूनकी इस नई व्याख्याको 'अप्रत्याशित विपत्ति' का नाम दिया । मार्च ३० : सर्लके निर्णयपर विचार करनेके लिए जोहानिसबर्गके हमीदिया इस्लामिया हॉलमें भारतीयोंकी सार्वजनिक सभा बुलाई गई, दुःख व्यक्त किया गया और सरकारसे प्रार्थना की गई कि भारतीय धर्मोके अनुसार किये गये विवाहोंकी वैधता स्वीकार करनेके लिए प्रतिकारात्मक विधान पेश किया जाये । ait हमा२४ . महापा४-१३. Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/६४५
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