मुझे लगा कि ऐसी परिस्थितिमें सभाको समाप्त करा देना ही सबसे अच्छा मार्ग होगा इसलिए मैंने अध्यक्ष महोदयसे निवेदन किया कि सभा खत्म कर दी जाये। उन्होंने फौरन ही सभा भंग कर दी। सभामें मचाई गई वह गड़बड़ी वास्तवमें भारतीय समाजके अन्दर दरार डालनेकी कोशिश थी, और उसका सत्याग्रहके प्रश्नसे कदापि कोई सम्बन्ध नहीं था क्योंकि मेरे खयालसे, सत्याग्रहके सम्बन्धमें कोई मतभेद न था। ऐसे बहुतसे सवाल खड़े कर दिये गये थे जिनका वर्तमान संघर्षसे कोई सरोकार नहीं था।
इस सभाके विसर्जित हो जानेके पश्चात् उक्त मन्त्रीके कामको नापसन्द करनेवालोंने तुरन्त एक जुलूस निकाला; रुस्तमजीके यहाँ एक सभा हुई जिसमें एक नया संगठन खड़ा किया गया। भारतीय समाजके दो अत्यन्त प्रतिष्ठित मुसलमान सज्जन, श्री दाउद मुहम्मद और श्री उमर हाजी आमद झवेरी, क्रमशः उसके अध्यक्ष और मन्त्री चुने गये। इस सभामें वर्तमान संघर्षका समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया। चन्दा भी किया गया ताकि गिरफ्तार होने के लिए श्री गांधीके साथ जानेवाले सत्याग्रहियोंका किराया-भाड़ा इत्यादि चुकाया जा सके। उपस्थित लोगोंमें बहुत उत्साह था और ऐसा विश्वास था कि इस संगठन में वे सब भारतीय शामिल होंगे जो बहुत शान्तिप्रिय और सन्तुलित विचारोंवाले हैं। व्यक्तिगत रूपसे मेरा खयाल है कि यदि यह नया संघ [सत्याग्रहकी] शुद्ध प्रणालीसे चलाया जायेगा तो इस संगठनके, यहाँतक कि इस संघर्षके, विरोधी समझे जानेवाले व्यक्ति भी अन्ततोगत्वा आकर इसमें मिल जायेंगे। यह बात कि नेटालमें इस आन्दोलनकी जड़ें बहुत मजबूत है इस बातसे प्रमाणित होती है कि जेल जानेवालोंकी सबसे बड़ी संख्या नेटालसे ही आई है। आज मैरित्सबर्ग और न्यूकैसिल जेलोंमें लगभग १०० भारतीय हैं। इनमें से अधिकांश व्यक्ति नेटालके ही हैं और उनमें भारतीय समाजके प्रत्येक वर्गके लोग हैं।
इसके अलावा नेटालमें एक हड़ताल भी चल रही है। लक्षण ऐसे नजर आ रहे हैं कि आगे चलकर यह बहुत बड़ी हड़तालका रूप धारण कर लेगी। अभीतक इस हड़तालका प्रभाव छ: खदानोंपर पड़ा है। और हड़ताली भारतीयोंकी संख्या २,००० है। मैं यह भी कह दूं कि मैंने आशा की थी कि हड़ताल तो होगी ही, परन्तु यह आशा न की थी कि लोग इस तरह आकर इतनी बड़ी संख्यामें, और खुद अपनी मर्जीसे ही हड़ताल कर देंगे।
जैसा कि लोगोंको मालूम ही है, वेरीनिगिंगमें जिन स्त्रियोंने अपनेको गिरफ्तार कराने की कोशिश की थी वे वहाँ असफल रहीं, और वे सीमा-पार करके नेटालके अन्दर दाखिल हो गईं; वहाँ भी उन्हें रोका-टोका नहीं गया। जब वे नेटालमें प्रविष्ट हुई, उस समय उनसे आठ पुरुष भी आ मिले जिनमें से किसीको नेटालकी सीमापर पकड़ा नहीं गया था। तब उनसे यह कहा गया कि वे न्यूकै सिल जायें और वहाँ पहुँचकर खदानोंमें काम करनेवाले मजदूरोंको स्थिति समझाते हुए उन्हें हड़ताल करनेको प्रेरित करें और कहें कि जबतक भूतपूर्व गिरमिटिया भारतीयों, उनकी पत्नियों और उनके बच्चोंसे वसूल किया जानेवाला तीन पौंडी सालाना कर हटानेका वचन न मिल जाये तबतक हड़ताल जारी रखें।