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परिशिष्ट १५

(१) गृह-विभागकी ओरसे पत्र

प्रिटोरिया
दिसम्बर २४, १९२३

सज्जनो,

आपका पत्र, जिसपर २१ तारीख पड़ी है और जिसे आपने तुरन्त ही समाचारपत्रोंको दे दिया था, गृह विभागको आज जाकर मिला है। मन्त्रीने उसे देख लिया है।

मुझे उसके उत्तरमें तुरन्त ही यह लिखनेका आदेश मिला है कि मन्त्री आपकी वे शर्तें स्वीकार करने में असमर्थ हैं जिनके पूरी होनेके बाद ही आप आयोगके सामने साक्ष्य प्रस्तुत करने और आयोगका कोई निर्णय होने तक सत्याग्रह स्थगित करनेके लिए कहते हैं, और खासकर आपकी उस शर्तको, जिसमें आपने भारतीय समाजके हितोंकी दृष्टिले आयोगमें कुछ और सदस्योंकी नियुक्तिकी बात कही है। मंशा एक ऐसा आयोग बनानेका था जो निष्पक्ष और न्यायिक हो, इसीलिए सरकारने उसे गठित करते समय न तो भारतीय समाज और न नेटालके कोयला खान मालिक तथा गन्ना उत्पादक संघसे ही कोई सलाह- मशविरा किया था और न वह आपका बतलाया हुआ तरीका अपनाकर आयोग में नियुक्त दो सदस्यों- पर बेवजह लगाये आपके आक्षेपोंको एक क्षणके लिए भी कोई अहमियत दे सकती है।

आप जो मार्ग अपनाने जा रहे हैं, उसे हमने समझ लिया है और उसपर — भारतीय समाजके हितोंके खयालसे भी — हमें हार्दिक खेद है। आपके कामके अराजकतापूर्ण ढंगते भारतीय समाजके हितोंको गहरी टेस पहुँचेगी हो और निर्दोष गोरे तथा भारतीय लोगोंको बेमतलब ही बड़े-बड़े कष्ट झेलने पड़ेंगे और उस सबके फलस्वरूप समूचे संघका लोकमत उसके विरुद्ध भड़क उठेगा।

आपका

एच० बी० शा

कार्य-वाहक गृह-सचिव

सर्वश्री मो० क० गांधी,

कैलेनबैंक और
एच० एस० एल० पोलक,
११०, फील्ड स्ट्रीट

डर्बन
[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: ५५१/४६