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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एक महीने तक नियमानुसार लगातार यह चिकित्सा जारी रखनेसे आपको निश्चय ही यह मालूम हो जायेगा कि पूर्ण स्वास्थ्य लाभ इसी दिशामें चलनेसे होगा, किसी अन्य प्रकारसे नहीं। काफी, चाय, सोडावाटर और पान आदिका सेवन चिकित्साकालमें अवश्य ही त्याग दिया जाना चाहिए। बादमें आप अपने पुराने भोजनपर वापस आ सकते हैं। हाँ, इस चिकित्साके आधारपर कुछ फेरफार तो होगा ही।

कृपया इस सम्बन्धमें गम्भीरतासे विचार करें।

अपनी माताजी और पत्नीको मेरा अभिवादन कहिए।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ६२८७) की फोटो-नकलसे ।

८३. भाषण : लीमड़ीमें

मई १९, १९१५

मानपत्रमें मेरे लिए प्रयुक्त विशेषण और वक्ताओं द्वारा की गई मेरी प्रशंसा दोनों ही अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। मैंने तो केवल मातृभूमिके प्रति अपना कर्त्तव्य-भर किया है, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं।

[गुजरातीसे]

गुजराती, ३०-५-१९१५

८४. पत्र : नारणदास गांधीको

लीमड़ी

वैशाख सुदी ५, बुधवार [ मई १९, १९१५ ]

चि० नारणदास,

में यहाँ एक दिनके लिए आया हूँ, क्योंकि ठाकुर साहबका आग्रह था। सन्तोक और लड़कियाँ मेरे साथ हैं। जमनादास फिलहाल राजकोटमें रहेगा।

रेवाशंकरभाईके यहाँ जो सामान पड़ा है वह और तुम्हारे पास तथा कल्याणदासके पास जो सामान है उसे माल गाड़ीसे अहमदाबाद भेज देना । मुझे लगता है कि बिस्तरोंको

१. नागरिकोंकी ओरसे दिये गये मानपत्र के उत्तरमें; इस समारोहके अध्यक्ष लोमड़ीके ठाकुर साहब थे।

२. गांधीजी इस तारीखको अपने भतीजे लक्ष्मीदासके पुत्र सामलदास और मगनलाल गांधी की पत्नी सन्तोकके साथ लीमड़ीमें थे ।

३. कल्याणदास जगमोहनदास मेहता; इन्होंने गांधीजीके साथ दक्षिण आफ्रिका में काम किया था । देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ४६ और खण्ड ६, पृष्ठ ४७५ ।