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मदा जाद जेठ शुक्र
मझभाजी,
लड़के सब गुरुकुल से आने के बाद में सब व्यवस्था करने की जाल में पड़ गया उस लीये आपको अजाडी ने लीस का लड़कों की पर आपने बताया है वह है कभी भूल नही सकत है मेरे इकों और साथी ओ को आश्रम देकर मुख को आपका र्णा बनाया है. अमदाबाद में हाच तो आश्रम खेन ददया है. उस की निषमा पी हिंदीमे बन रही है तैयार होनेसे आप का अभियान को चीपे भेजी जाय ज 2208-2 इरिद्वार मे फेर आकर आपकी साथ कुछ दिन रहने की बात में बीफूले मूला नाई हु वनमनने से में जरूर परी पुजा आपकी कृपा कां म.. इन दासग्राद बेटे ना हम् महात्मा मुन्शीरामको पत्र, जून १४, १९१५