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आश्रमके संविधानका मसविदा

जो लोग अपने लड़कोंको आश्रममें भेजना चाहें उन्हें हमारी सलाह है कि पहले वे स्वयं आकर आश्रमको देख जायें। किसी भी लड़के या लड़कीको जाँचे बिना आश्रममें भर्ती नहीं किया जायेगा।

दैनिक कार्यक्रम

(१) इस बातका प्रयत्न किया जाता है कि आश्रममें सव लोग प्रातः ४ बजे उठ जायें। पहला घंटा ४ बजे बजता है।

(२) ४.३० बजे उठना रोगियोंको छोड़कर बाकी सभीके लिए लाजिमी है और सभी ५ बजेके पहले स्नान कर लेते हैं।

(३) ५ से ५.३० : ईश्वर-भजन और थोड़ा-सा धार्मिक पाठ किया जाता है।

(४) ५.३० से ७ : सवेरेका फलाहार, जैसे केलेका।

(५) ७ से ८.३० : शारीरिक श्रम, जैसे पानी भरना, आटा पीसना, झाड़ देना, कपड़ा बुनना, भोजन बनाना आदि ।

(६) ८.३० से १० : पठन-पाठन ।

(७) १० से १२ तक भोजन करना और बर्तन मांजना। भोजनमें पाँच दिन दाल, चावल, शाक और रोटी एवं दो दिन रोटी और फल रहते हैं।

(८) १२ से ३ : पठन-पाठन ।

(९) ३ से ५ : सुबहकी तरह शारीरिक श्रम ।

(१०) ५ से ६ : भोजन और बर्तन साफ करना । भोजन प्रायः सुबह जैसा ही होता है ।

(११) ५.३० से ७ : सुबहकी तरह ईश्वर भजन ।

(१२) ७ से ९ : स्वाध्याय और आश्रममें आनेवालोंसे मिलना आदि।

छोटे लड़के ९ बजेके पूर्व सो जाते हैं। दस बजे बत्तियां बुझा दी जाती हैं ।

फिलहाल संस्कृत, गुजराती, तमिल, हिन्दी और अंकगणित विषय पढ़ाये जा रहे हैं। इतिहास और भूगोल भाषा-ज्ञानके अन्तर्गत आ जाते हैं।

आश्रममें वैतनिक शिक्षक और सेवक नहीं रखे जाते।

इस समय कुल मिलाकर आश्रममें पैंतीस व्यक्ति हैं। इनमें से चार व्यक्ति सपरि- वार रह रहे हैं। शिक्षणका काम पाँच अध्यापकोंके सुपुर्द है। आश्रमके स्थायी सदस्यों में से दो उत्तर भारतके, नौ मद्रास प्रान्तके और शेष गुजरात-काठियावाड़के हैं।

[ गुजरातीसे ]

छपी नियमावलियों (एस० एन० ६१८७ और एस० एन० ६१८९) की फोटो- नकलसे।

१. यह तीसरी आवृत्तिमें जोड़ा गया है।