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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करनेकी ] स्थिति तक पहुँच जा सकते हैं। उस स्थिति उत्पन्न होने तक प्रार्थनापत्र जैसे सामान्य उपाय काममें लाना सम्भव है और अभी वे ही काममें लाये जा रहे हैं। दक्षिण आफ्रिकासे प्राप्त पत्रोंसे मालूम होता है कि वहाँ हमारे कुछ देशवासियोंको भारी कष्ट उठाने पड़ रहे हैं। भारतमें उनके सम्बन्ध में अधिक चर्चा सुनाई नहीं पड़ती तो इसका कारण यह है कि इस समय साम्राज्यके ऊपर जो संकट छाया हुआ है, उसके ध्यानसे हमारे दक्षिण आफ्रिकी देशवासी असाधारण संयमसे काम ले रहे हैं।

इस संघर्षके फलस्वरूप सिद्धान्त निर्धारित हो गये हैं और वे निर्योग्यताएँ हट गई हैं जिनसे जातिका अपमान होता था । दक्षिण आफ्रिकामें बाहरसे पहुँचनेवाले ब्रिटिश भारतीयों के साथ व्यवहारका प्रश्न एक बड़ा प्रश्न है और वह केवल यहाँ तय किया जा सकता है; और उन स्थानीय निर्योग्यताओंके प्रश्नपर जो अभीतक हटाई नहीं गई हैं, आपकी समितिको निरन्तर सावधान रहना पड़ेगा और हमारे दक्षिण आफ्रिकी देशवासियोंके कामों में पहले की तरह सहायता देनी होगी।

मुझे लगता है, बीस सालके अपने व्यक्तिगत अनुभवके आधारपर मुझे दृढ़तापूर्वक अपना यह विश्वास प्रकट कर देना चाहिए कि गिरमिटिया प्रथा एक ऐसी बुराई है। जो सुधारी नहीं जा सकती, केवल समाप्त की जा सकती है। मालिकके चाहे जितने दयालु होनेसे भी सम्बन्धित व्यक्तियोंका नैतिक कल्याण नहीं होता। इसलिए मैं यह अनुभव करता हूँ कि आपकी समितिको अविलम्ब भारत सरकारसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वह् साम्राज्यके प्रत्येक भागमें इस प्रथाको पूरी तरह खत्म कर दे।

इसे खत्म करनेसे पहले मुझे यह अवश्य कहना चाहिए कि यदि उस महान् और धर्मपरायण देशभक्तके नेतृत्वमें, जिनकी मृत्युपर हम शोक मना रहे हैं, हमारी मातृभूमिने हमें इतनी खुलकर सहायता न दी होती और इस समय जो उदात्त पुरुष वाइसरॉय हैं उन्होंने अत्यन्त सहानुभूतिपूर्ण और दृढ़तापूर्ण रुख न अपनाया होता तो न तो आन्दोलन इतनी जल्दी समाप्त होता और न ही उसका परिणाम इतना सन्तोष- जनक होता।

मो० क० गांधी २

दक्षिण आफ्रिकी भारतीय सत्याग्रह-कोषका ३१ जनवरी, १९१५ तकका हिसाब

खर्च

पौं० शि० पें०

४३- १-३

६ अप्रैल, १९१२को श्री. रतन ताताको
भेजे गये विवरणके अनुसार नामेकी बाकी रकम
सहायता
कानूनी खर्च
देशी-विदेशी तार

२,८६८-१०- १

२३५- २-९

७०५-१५-१०

१. प्रकाशित पत्रमें वाक्य यहाँ समाप्त कर दिया गया है एवं 'और' शब्द निकाल दिया गया है।

२. यह प्रकाशित पत्रसे लिया गया है।

३. प्रकाशित पत्रमें आप और व्यय बराबर-बराबर स्तम्भोंमें दिये गये हैं ।