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१४२. वा० गो० देसाईके पत्रका मसविदा[१]

[दिसम्बर २१, १९१५ से पूर्व][२]

मैं देखता हूँ कि सरकारी नौकरोंको दर्शकके रूपमें भी भारतीय राष्ट्रीय महासभा कांग्रेसके अधिवेशनोंमें जानेकी अनुमति नहीं है। मैं कांग्रेस-अधिवेशनमें दर्शक-रूप में जाना चाहता हूँ। में अनुभव करता हूँ कि उक्त प्रतिबन्ध उनकी वैयक्तिक स्वतन्त्रतामें अनुचित हस्तक्षेप है। इसलिए यदि आप यह समझते हों कि गवर्नर महोदयने जिस अर्थमें सरकारी नौकर शब्दका प्रयोग किया है उस अर्थमें मैं सरकारी नौकर हूँ तो मैं इस पत्रके द्वारा नम्रतापूर्वक त्यागपत्र देता हूँ।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५६८६) से।

सौजन्यः वालजी गोविन्दजी देसाई

 

१४३. तार: वा० गो० देसाईको

दिसम्बर २१, १९१५

त्यागपत्र वापस लो, कांग्रेसमें जानेकी अनुमति माँगो।
प्राप्त अंग्रेजी तार (सी० डब्ल्यू० ५६८२) से।
सौजन्यः वालजी गोविन्दजी देसाई
 
  1. १. प्रोफेसर वालजी गोविन्दजी देसाईं; गुजरात कॉलेज, अहमदाबादमें कुछ काल तक अंग्रेजीके प्राध्यापक; आपने नौकरीसे त्यागपत्र दे दिया और गांधीजीके साथ शामिल हो गये। गांधीजीकृत दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास और अन्य रचनाओंके अनुवादक
  2. २. स्पष्ट है कि यह मसविदा “तार: वा० गो० देसाईको”, और “पत्र: वा० गो० देसाईको”, २१-१२-१९१५ से पूर्व लिखा गया होगा।