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डायरी: १९१५

मई २६, बुधवार

जीवनलालभाईकी ओरसे पट्टियाँ आदि प्राप्त हुई। रणछोड़भाई तथा नानालाल आये। नटेसनका पत्र मिला और १,००० रुपये भी। भाई नानालालने ३०० रुपये दिये।

मई २७, बृहस्पतिवार

छगनलाल मास्टर आये। एक रुपया दे गये । माधवदास आया और अपने पुत्र वृजलालको छोड़ गया। शराफके पास जमा करवानेके लिए १,४५० रुपये भाई नानालालको दिये।

मई २८, शुक्रवार

पोपटभाई तथा उनकी धर्म बहन गंगाबेन आये। पंजाभाईके यहाँसे सामान आया। श्री नटेसनकी ओर से रु० ३.०००का चेक मिला।[१] मणिलाल कोठारी आये।

मई २९, शनिवार

रायचन्दभाईके शिष्य मनसुखभाई मिले। फिर दर्द शुरू हुआ। उपवास किया। नारणदासकी पत्नी आई।

मई ३०, रविवार

मंगलदास सेठसे मिला। रायचन्दभाईकी पुण्य-तिथिमें सम्मिलित हुआ। पोपटभाईने १०० रुपये दिये। रणछोड़भाईने दस और मनसुखभाईने एक रुपया दिया। प्रोफेसर राममूर्ति आये।[२]

मई ३१, सोमवार

सब लोग राममूर्तिका खेल देखने गये। मगनलाल मगनभाईकी देख-भाल करनेके लिए पीछे रहा। विठ्ठलराय आये और थोड़ा सामान भी। बाकी यथावत्।

जून १, मंगलवार

मगनभाईको अभी बुखार है लेकिन कम। और इसके अतिरिक्त राममूर्तिका प्रदर्शन देखनेके लिए मुझे जाना पड़ा। लड़कोंमें झूठ दिखाई दिया। इससे उपवास आरम्भ किया। झूठ स्वीकार कर लिया गया तथा साँझको उपवास तोड़ा। मगनलाल सामान लाया। केशवलालभाईकी ओरसे २५ रुपये मिले।

जून २, बुधवार

हरिभाई सपरिवार आये।

जून ४, शुक्रवार

लीमड़ीके अध्यापक रणछोड़ आये। राजकोटकी राजमाताकी ओरसे १०० रुपये प्राप्त हुए। केसर-ए-हिन्द पदककी सूचना।

जून ५, शनिवार

अम्बालाल, दलपतभाई, जमियतराम शास्त्री, भाई शंकर, नानाभाई आदिसे मिलने गया। पोपटभाई आ गये। मानिकलालने ३,००० रुपये रखे। मगनलाल, मगनभाई तथा मणिलालने सत्य-व्रत लिया।
 
  1. १. देखिए “पत्र: जी० ए० नटेसनको”, २८-५-१९१५।
  2. २. प्रसिद्ध व्यायाम-विशारद।