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डायरी: १९१५
जून १४, सोमवार
- घाटकोपर उतरा। रतनचन्दजी साधुसे मिला। श्री पेटिटका टेलीफोन। हाजीभाई तथा देवकरणदाससे मिला।
जून १५, मंगलवार
- श्री रतन तातासे मिला। श्री नटराजनके घर बाँदरामें मातमपुरसीके लिए गया। बम्बईसे प्रस्थान किया। नारणदास साथ आया।
जून १६, बुधवार
- अहमदाबाद पहुँचा। श्री पेटिटको आँकड़ों तथा पत्रका मसविदा भेजा।[१]
जून १७, बृहस्पतिवार
- मगनभाईके ससुर आये। वैद्य जटाशंकर आया। बा की जाँच की।
जून १८, शुक्रवार
- पोपटलाल लीमड़ीको रवाना।
जून १९, शनिवार
- नारणदास देशको रवाना हुआ।
जून २०, रविवार
- कुछ जानने योग्य नहीं।
जून २१, सोमवार
- माणेकलालने दस रुपये दिये।
जून २२, मंगलवार
- नर्मदाशंकरको पढ़ाना शुरू किया। मंगलदास तथा पोपटभाई आ गये।
जून २३, बुधवार
- नया कुछ नहीं।
जून २४, बृहस्पतिवार
- गवर्नरका पत्र। पदकके सम्बन्धमें। उनको कल तार भेजा।
जून २५, शुक्रवार
- पदक प्राप्त करनेके लिए पूना रवाना। पंडित माधवजी संस्थामें रहनेके लिए आये। धोराजीवाले झवेरचन्दके भतीजे भी आये।
[रु० आ० पा०]
६ ७ ० अहमदाबादसे बम्बई
- ↑ १. देखिए “पत्र: जे० बी० पेटिंटको”, १६-६-१९१५।