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डायरी: १९१५

सितम्बर ३०, बृहस्पतिवार

बम्बई पहुँचा। नारणदासके साथ वार्तालाप। नटराजनके यहाँ गया। उसके साथ लम्बी बातचीत हुई। नारणजीके यहाँ फलाहार। हरखचन्दके स्वास्थ्यकी परीक्षा की। समितिकी बैठक। वलिअम्मा-हॉलके मामलेको श्री तातापर छोड़ा। बम्बईसे प्रस्थान किया।

अक्तूबर १, शुक्रवार

अहमदाबाद आया। प्रोफेसर वालजी रहनेके लिए आये।

अक्तूबर ३, रविवार

जोइतराम गया। मगनलाल और सन्तोक वापस आये।

अक्तूबर ४, सोमवार

प्रकाशानन्द आये। मिस्त्री (बढ़ई) आने लगा।

अक्तूबर ५, मंगलवार

देवभाभी आई। जमनादास साथ है। कलेक्टरकी अध्यक्षतामें अकालके सम्बन्ध में एक सभा हुई। में गया था। प्रस्ताव पेश किये गये।

अक्तूबर ६, बुधवार

देवभाभी और जमनादास गये।

अक्तूबर ७, बृहस्पतिवार

भाई वालजीने १५ रुपये दिये। श्री पेटिटको १,५०० रुपयेका चेक भेजा।

अक्तूबर ८, शुक्रवार

डाह्याभाईने आठ रुपये दिये। आज फिर आवेश आया और बा पर नाराज हुआ। इस कुटेवकी दवा ढूँढ़ निकालनेमें-ही छुटकारा है।

अक्तूबर ९, शनिवार

व्रजलाल भाग गया। जोइतराम आया, वह नहीं रह सकता।

अक्तूबर १०, रविवार

सोजिया गया। वहाँका छात्रालय देखा। खड्डी आदि देखीं। पेटलादमें भी एक खड्डी देखी। कविके भाई रास्तेमें मिले। मूलचन्द परमारके साथ आश्रममें आये।

अक्तूबर ११, सोमवार

हरखचन्द आया। जेकीबेन[१] आश्रममें रहनेसे इनकार करती है। जोइतराम तथा परमार गये।

अक्तूबर १२, मंगलवार

मणिलाल और करीमभाई पालनपुर गये। हरखचन्द गया।
 
  1. १. जयकुँवर, डों० प्राणजीवन मेहताकी सुपुत्री।