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१५५. भाषण: सूरतके स्वागत-समारोह में[१]

जनवरी ३, १९१६

भाइयो और बहनो,

आज यहाँ में अपनी प्रशंसा सुन-सुनकर थक गया हूँ और मुझे विश्वास है कि समय अधिक हो जानेसे आप भी ऊब गये होंगे। इसलिए आपकी इच्छा लम्बा भाषण सुननेकी नहीं होगी। आप सब लोग ‘नहीं, नहीं’ कहते हैं, यह तो ठीक है। और मैं समझता हूँ कि यह तो भारतकी संस्कृतिका द्योतक है। आपने मेरी पत्नीके सम्बन्धमें जो भाव प्रकट किये हैं उनके लिए मैं बहुत आभारी हूँ। मेरे सम्बन्धमें और मेरी पत्नीके सम्बन्धमें जो भाव व्यक्त किये जाते हैं उनका कारण जहाँतक में जानता हूँ, यह है कि महान् आत्मा श्री गोखलेने भारतमें मेरे सम्बन्धमें जो भाव व्यक्त किये थे[२] वे यहाँ अभीतक गूँज रहे हैं। दक्षिण आफ्रिकामें जेल जानेवाले अकेले व्यक्ति सिर्फ हम दो ही न थे, बल्कि बहुतसे दूसरे लोग भी जेलमें गये थे। वनिता-विश्रामकी[३] एक १७ वर्षीय युवती भी जेल गई थी और उसका पति भी जेल गया था। उसका पति जेलमें बीमार हो गया और इस संसारसे विदा हो गया। भारतमें जो व्यक्ति सामने पड़ जाये उसका सम्मान करनेकी प्रथा ही बन गई है। भारतमें जागृति उत्पन्न करनेकी आवश्यकता है। इस देशमें जबतक जागृति न होगी तबतक प्रगति नहीं हो सकती। देशमें जागृति उत्पन्न करनेके लिए उसके सम्मुख कोई कार्यक्रम रखा जाना चाहिए। अब इस सम्बन्धमें प्रश्न यह उठता है कि लोगोंमें जागृति कैसे उत्पन्न हो और समझ कैसे आये। मेरे पास इसकी एक कुंजी यह थी कि मुझे जिन लोगोंसे काम लेना था मैंने पहले उनकी भाषा सीखी। मैंने उन्हें उनकी भाषामें अपनी स्थिति बताई और उनसे उस स्थितिमें उपयुक्त व्यवस्था पूछी। इसीसे उन्हें मेरी स्थितिका भान हुआ और वे मेरी सहायता करने लगे। दूसरी एक बात यह है कि मैं जब जेलसे आया तब मुझे एक पत्र मिला; उसमें मुझसे प्रश्न किया गया था कि सभी नेतागण चले गये हैं; अब आप अकेले क्या करेंगे? किन्तु आश्चर्यकी बात है बिना किसी नेताके २०,००० लोग उत्साहमें भरकर उठ खड़े हुए। मुझे इसका अनुभव है। सब चले जायें तब भी क्या होता है? इसलिए यदि आप भारतके हितका कार्य करना चाहते हैं तो भारतके ३० करोड़ लोगोंको प्राथमिक शिक्षा दीजिये। प्राथमिक शिक्षासे मेरा तात्पर्य वर्तमान प्राथमिक शिक्षासे नहीं है, बल्कि इस समय जिस ज्ञानकी आवश्यकता है उस ज्ञानसे है। आप उन्हें वह ज्ञान दीजिए। उन्हें यह ज्ञान दीजिए कि भारतमें गरीबी क्यों बढ़ती जाती है। गरीब, बिना पढ़े-लिखे लोगोंको जानना चाहिए कि उनके हाथसे सब काम निकलते जा रहे हैं; गरीबी आनेका कारण यही

  1. १. जिला वकील संघके तत्त्वावधान में आयोजित।
  2. २. जब गांधीजी दक्षिण आफ्रिकामें थे तब।
  3. ३. एक कन्या पाठशाला।