लगाते हैं कि सिन्धी लोग सुस्त हैं। मैं इस बातको नहीं मानता। अन्य प्रान्तोंके समान ही इस प्रान्तमें भी सार्वजनिक कार्यका उत्साह है। मुझे लगता है कि बम्बईकी अपेक्षा सिन्ध सार्वजनिक कार्यके प्रति उत्साहमें आगे निकल जायेगा।
गुजराती११-३-१९१६
१८७. बादिन[१] स्वागत-समारोहमें उत्तर
मार्च ३, १९१६
अभिनन्दनका उत्तर देते हुए श्री गांधीने सर सैयद अहमदखाँकी कही हुई बातको दोहराया। उन्होंने कहा कि भारतको चाहिए कि वह अपनी दोनों आँखोंसे देखे; अर्थात् मुसलमान और हिन्दू दोनोंकी नजरसे देखे। अगर उसने ऐसा न किया तो वह काना कहलायेगा।
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९१६, पृष्ठ १४८-५०
१८८. पत्र: मगनलाल गांधी को
शनिवार [मार्च ११, १९१६][२]
यह पत्र[३]आया है। इसके साथ एक विज्ञापन है; उसे भेजनेकी जरूरत नहीं है। मैं १४के बजाय १५ को रवाना होऊँगा। देवदास और प्रभुदास दोनोंको ले जानेका विचार किया है। रामदास तो साथ होगा ही।
तुम्हें तमिलका पूरे उत्साहसे अध्ययन कर डालना चाहिए। शिवरामन चला गया है। अब तमिलकी बिल्कुल उपेक्षा हो रही है। इसलिए मुझे लगता है कि हममें से ही कोई जल्दी तैयार हो जाये तभी काम चलेगा। मेरी निगाह अब तुमपर ही है। किसी दूसरेको तमिल सीखनेके लिए वहाँ भेजनेका विचार भी उठता रहता है। ऐसा जान पड़ता है कि अन्ना तो अब नहीं आयेगा।