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२१०. भाषण: दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहके रहस्यपर[१]

जुलाई २७, १९१६

संक्षेपमें सत्याग्रहका रहस्य ‘जीवनके तत्त्वकी खोज’ करना हो सकता है। हम इसी खोजके लिए लड़ रहे हैं। यह बात हमने किसीसे प्रकट-रूपसे नहीं कही थी।यदि हम ऐसा कहते तो वहाँवाले हमारी खिल्ली ही उड़ाते। हमने अपने आन्दोलनका इसी खोजके लिए लड़ रहे हैं। यह बात हमने किसीसे प्रकट-रूपसे नहीं कही थी। यदि हम ऐसा कहते तो वहाँवाले हमारी खिल्ली ही उड़ाते। हमने अपने आन्दोलनका गौण हेतु ही प्रकट किया था, जो यह था कि वहाँ की सरकार हमको नीचे दर्जेका और हीन मानकर इस देशसे निकालनेके लिए नये-नये कायदे-कानून गढ़ रही है। उन कानूनोंको अंगीकार न करके अपना शौर्य प्रकट करना उचित है। मान लीजिए कि सरकारने इस आशयका कानून बना दिया कि काले आदमी पीली टोपी पहना करें। एक बार रोममें यहूदियोंके लिए ऐसा ही कानून बनाया गया था। इसी तरह यदि बहाँकी सरकार भी हमारे साथ ऐसा ही व्यवहार करने लगे और हमारे लिए कोई ऐसा कानून बनाने लगे जिसका हेतु हमारा अपमान करना जान पड़े तो हमें सरकारको स्पष्टरूपसे जता देना चाहिए कि हम इस कानूनको नहीं मानेंगे। एक अल्पवयस्क बालक बापसे कहता है कि तुम हमें उलटी पगड़ी पहनकर दिखाओ। बाप समझता है कि लड़का हमें इस प्रकार देखकर हँसना चाहता है और सहर्ष उसके हुक्मकी तामील कर देता है। पर जब कोई और आदमी बदनीयतीसे वही बात कहता है तब वह साफ जवाब देता है, “भाई, जबतक हमारे धड़पर सिर है तबतक तुम हमारा यह अपमान नहीं कर सकते। इसलिए पहले तुम हमारा सिर उतार लो; फिर जिस तरह चाहते हो उसे उलटी-सीधी पगड़ी पहनाओ।” इसी तरह वहाँकी सरकार हिन्दु-स्तानियोंको नीच समझकर उनके साथ गुलामोंका-सा बर्ताव करती तथा जहाँतक हो सके उन्हें अपने देशोंमें आनेसे रोकना चाहती थी। और अपनी इस इच्छाकी पूत्तिके लिए ही वह नये-नये कायदे-कानून गढ़ने लगी। जैसे――हिन्दुस्तानियोंके नाम अलग रजिस्टरमें दर्ज करना, चोरों और डकैतोंकी तरह उनकी अँगुलियोंके निशान लेना, उन्हें राज्यके किसी एक विशेष क्षेत्र में ही बसनेपर विवश करना, निश्चित सीमासे उनके बाहर निकलनेका निषेध करना, उनके लिए खास रास्तोंसे चलने और रेलके खास डिब्बों में सवार होनेका नियम बनाना, विवाहका प्रमाणपत्र न होनेपर उनकी स्त्रियोंको रखेल मान लेना, प्रति व्यक्ति हर साल ४५ रुपयेका कर वसूल करना आदि-आदि। मूल रोग एक ही होनेपर भी बहुधा वह शरीरमें भिन्न-भिन्न रूपोंमें प्रकट हुआ करता है। इसी तरह मुख्य रोग, जैसा कि पहले कह चुके हैं, दक्षिण आफ्रिकाकी सरकारकी बुरी नीयत थी और उल्लिखित सब कायदे-कानून उसके भिन्न-भिन्न स्वरूप थे। इसलिए इन सभी कानूनोंके खिलाफ लड़नेके लिए हमें तैयार होना पड़ा।

 
  1. १. यह कोचरव आश्रम में प्रार्थना के बाद एक प्रश्नके उत्तरमें दिया गया था।