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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किसी विषयमें विशेष ज्ञान प्राप्त करना चाहे तो उसके लिए योग्य व्यवस्था करनेका काम अभी भविष्यपर छोड़ दिया गया है।

निःशुल्क शिक्षण

इस शालामें विद्यार्थियोंसे फीस नहीं ली जायेगी; शालाका खर्च दान लेकर चलाया जायेगा।

शिक्षक

शिक्षकोंको वेतन दिया जायेगा और वे पक्की उम्रके तथा कॉलेज तक पहुँचे हुए अथवा इस कोटिका ज्ञान रखनेवाले होंगे। हमारी मान्यता है कि बालकोंको आरम्भमें तो अच्छेसे-अच्छे शिक्षकोंकी ही जरूरत है।

प्रथम वर्षका पाठ्यक्रम

निम्नलिखित पाठ्यक्रम नमूनेके तौरपर दिया जा रहा है।[१]

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ६१९५ ए) की फोटो-नकलसे।

२४३. पत्र: डॉ० एच० एस० देवको

अहमदाबाद
जनवरी ३१, [१९१७][२]

प्रिय डॉ० देव,[३]

मुझे आपका कार्ड मिला। मेरी समझमें पुण्यतिथि मनानेके लिए एकत्र होनेके पहले ही उन आदर्शोंके अनुरूप, जिनका प्रतिनिधित्व श्री गोखले करते थे, हमें कोई कदम उठाना चाहिए। मैंने यही सलाह यहाँ भी दी है और यह मान ली गई है। इसलिए इस वर्ष हम सम्भवतः गोखलेके सब भाषणोंका गुजराती रूपान्तर प्रकाशित करेंगे। पूनाके लिए भी मेरी ऐसी ही सलाह है। यदि अभी तक उनके भाषणोंका मराठीमें अनुवाद न हुआ हो तो हम बैठकमें इस बारेमें निश्चय कर सकते हैं, या कोई दूसरा व्यावहारिक कार्य कर सकते हैं। मैं तो ऐसा चाहता हूँ कि वे हममें और हमारे मारफत एवं इस प्रकार सारे राष्ट्रके मारफत, अधिकाधिक जीवित रहें। जबतक हम ऐसे समारोहोंमें प्रगतिशील कदम नहीं उठाते तबतक यह नहीं होगा। मुझे दो आकर्षण――एक पूनासे और दूसरा अहमदाबादसे―― विरुद्ध दिशाओंमें खींच रहे हैं। कुछ कारणोंसे में उस दिन अहमदाबादमें रहना चाहता हूँ। इसी तरहके कुछ अन्य कारण मुझे प्रेरित करते हैं कि मैं पूना आऊँ। आपको निर्णय करना होगा कि मैं क्या करूँ। यहाँके मित्रोंने तो मुझे स्वतन्त्र छोड़ दिया है कि मैं जैसा सर्वोत्तम समझूँ वैसा करूँ।

  1. १. उपलब्ध नहीं है
  2. २. गोखलेके भाषणोंके अनुवाद तथा गिरमिट सम्बन्धी सभाके उल्लेखसे मालूम होता है कि यह पत्र १९१७ में लिखा गया था।
  3. ३. भारत सेवक-समाज (सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) के सदस्य।