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२६४. पत्र: एस्थर फैरिंगको

अहमदाबाद
मार्च २०, १९१७

प्रिय एस्थर,

एक अंग्रेज महिला[१] मेरी मित्र हैं। उन्हें और उनकी बहनके बच्चोंको गर्मियोंमें किसी पहाड़ी जगहमें रहनेके लिए जाना है। तुम भी किसी ऐसी जगहमें जा ही रही हो। यदि वे भी उसी जगह जायें जहाँ तुम जा रही हो तो क्या उनसे मैत्री सम्भव मानोगी? कहनेकी आवश्यकता नहीं कि वे लोग अपना खर्च खुद ही उठायेंगे। उन्हें जिस चीजकी जरूरत है वह है अच्छा साथ। तो मुझे तुम्हारा खयाल आया। यदि यह सम्भव हो तो मुझे सूचित करो कि तुम कहाँ जाओगी, कब रवाना होओगी, कहाँ ठहोगी और क्या तुम्हारे ही साथ उनके रहने, भोजन करनेकी व्यवस्था भी हो सकेगी। मुझे वहाँके खर्चका अन्दाज भी लिखना। तुमने श्री पोलकका नाम तो सुना होगा। मेरी मित्र महिला उनकी साली हैं। श्री पोलक और उनकी पत्नी सार्वजनिक कार्यसे दौरेपर जायेंगे। इस बीच वे अपने बच्चोंको किसी भी ऐसी पहाड़ी जगह रखनेके लिए चिन्तित हैं, जहाँ श्री पोलककी सालीको उपयुक्त साहचर्य मिल सके। वे भारतमें पहली बार ही आई हैं।

हम सबका बहुत-बहुत प्यार।

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

पोलक-परिवार अहमदाबादसे सम्भवतः सोमवारको रवाना होगा । इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे तारसे सूचना दो।

यदि तुम “गांधी, अहमदाबाद” के पतेपर तार दोगी तो मुझे मिल जायेगा।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड
 
  1. १. कुमारी ग्रैहम; देखिए, “पत्र: एस्थर कैरिंगको”, ३१-३-१९१७।