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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि सरकार जहाँ राहत देना जरूरी समझती है वहाँ सचमुच बड़ी शीघ्रतासे राहत देनेके लिए तत्पर है।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी

टाइप की हुई अंग्रेजी प्रतिसे।

सौजन्य: गांधी स्मारक निधि

 

३२३. पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको

मोतीहारी
मई २५, १९१७

प्रिय श्री हेकॉक,

अभी-अभी मेरे पास छतौनीके लोग आये और उन्होंने मुझे बताया कि रविवारकी रात्रिको उन्हें श्री इर्विनने पीटा। उनका कहना है कुछ लोगोंने एक दूसरे आदमी और हमपर कारखानेके लोगोंको हमला करते देखा है।

एक और व्यक्ति मुझे बता रहा है कि कोठीने उनकी ५० बीघेसे भी अधिक जमीन उनसे ऐसी जमीनके बदलेमें ले ली जो तब भी निकम्मी थी और आज भी।

यदि ये बातें सही हैं, तो ये गम्भीर हैं। चूँकि कुछ तनाव दिखाई देता है इसलिए मैं यथासम्भव कुछ समयके लिए देहातोंमें जाना टाल देना चाहता हूँ। फिर भी आज शाम मुझे छतौनी जाना आवश्यक लग रहा है। यदि आप कोई दूसरी बात सुझायें तो अलग बात है; नहीं तो मैं यहाँसे ठीक ५-३० बजे शामको चल दूँगा[१]

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १०१, पृष्ठ १६८ से भी।

 
  1. १. हेकॉकने जवाब दिया: “मैं यह आपपर छोड़ देना पसन्द करूँगा। आप जो ठीक समझें, करें।”