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३३१. चम्पारनकी स्थितिके सम्बन्धमें टिप्पणी-५

बेतिया
मई ३०, १९१७

गोपनीय

सरकारके पत्र[१] और उसके उत्तरसे,[२]जो इस टिप्पणीके साथ संलग्न है जान पड़ता है कि समस्या संकटपूर्ण स्थितिके निकट आ गई है। यदि श्री गांधी और उनके साथी हटाये जाते हैं, तो ऐसी उम्मीद है कि नेतागण एकके बाद एक उनकी जगह लेते चले जायेंगे। इसके लिए उनका यहाँकी अन्दरूनी स्थितिको समझ लेना जरूरी है। अन्दरूनी स्थिति यह है: रैयत इतनी अधिक अपंग बना दी गई है और इतने लम्बे अर्से तक उसने कष्ट-सहन किया है कि वह ऐसा मानने लगी है कि राहत कभी मिलनेवाली नहीं है। वह अब अपने उन देशभाइयोंकी हार्दिकताको प्रत्यक्ष महसूस करती है जो कमसे-कम उसकी बात सुननेको तो तैयार हैं, चाहे वे कोई प्रभावशाली मदद न ही दे पायें। उनकी निराशामें डूबती हुई भावनाओंको इससे बड़ा सहारा मिला है। जबतक सवाल हल नहीं हो जाता और उन्हें आजादीका आश्वासन नहीं मिल जाता तबतक उन्हें अरक्षित छोड़ देना क्रूरता होगी। कार्यकर्त्ताओंको उनके बीचसे बल-पूर्वक हटानेसे सम्भव है कि आतंकवाद फैल जाये और उसके फलस्वरूप अब तक दियेगये वक्तव्योंसे लोगोंके विमुख हो जानेका अन्देशा भी है। एकऔर टिप्पणी मुख्यसचिवको दिये गये जवाबमें उल्लिखित कागजातोंके साथ बादमें भेजी जायेगी। पूर्वक हटानेसे सम्भव है कि आतंकवाद फैल जाये और उसके फलस्वरूप अबतक दिये गये वक्तव्योंसे लोगोंके विमुख हो जानेका अन्देशा भी है। एक और टिप्पणी मुख्य सचिवको दिये गये जवाबमें उल्लिखित कागजातोंके साथ बादमें भेजी जायेगी।

मो० क० गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिसे।

सौजन्य: गांधी स्मारक निधि

 
  1. १. मुख्य सचिवका २७–५-१९१७ का पत्र; देखिए सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स सं० १०३, पृष्ठ १७०।
  2. २. देखिए पिछला शीर्षक।