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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पढ़ाते समय देख सका। प्रभुदासमें कुछ उत्तम गुण हैं। उसकी आयु और योग्यताको देखते हुए उसने अपनी सीमासे बाहर प्रयत्न किया है। अब वह थक गया है।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७११) से।

सौजन्य: राधाबेन चौधरी

३३४. पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको

बेतिया
जून १, १९१७

प्रिय श्री हेकॉक,

मेरा खयाल है कि मैंने आपको उस रिपोर्टका हवाला भेजनेका वायदा किया था, जिसमें से मैंने इस सम्बन्धमें उद्धरण दिये थे कि फैक्टरियाँ रैयतसे अपनी इच्छानुसार काम लेनेके लिए क्या-क्या तरीके अपनाती हैं। [१] यह रिपोर्ट तारीख २२ जुलाई, १९१४ की है और इसपर बेतियाके एस० डी० ओ० श्री ई० एच० जॉन्स्टनके हस्ताक्षर हैं। यह रिपोर्ट बेतिया फैक्टरीके बारेमें है।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० ११०, पृष्ठ १९० से भी।

३३५. पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

मोतीहारी
चम्पारन
जून १ [१९१७]

प्रिय श्री शास्त्रियर,

सम्भव है कि संलग्न पत्र[२] आपके पास किसी अन्य जरियेसे पहुँच भी चुका हो। मेरी समझमें आप इसे पसंद करेंगे।

आशा है कि आप स्वस्थ होंगे।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ६२९६) की फोटो-नकलसे।

  1. १. इस उद्धरणके लिए देखिए “पत्र: बिहारके मुख्य सचिवको”, ३०-५-१९१७।
  2. २. उपलब्ध नहीं है।