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३३८. भेंट: बिहारके लेफ्टिनेंट गवर्नरसे[१]

जून ५, १९१७

आज दोपहर बाद मैंने श्री गांधीसे इस प्रश्नपर बातचीत की कि चम्पारनकी स्थितिके सम्बन्धमें क्या कदम उठाया जाना चाहिए। बातचीतके समय मुख्य सचिव भी उपस्थित थे। मैंने श्री गांधीसे कहा कि अब तो आपको जितनी-कुछ जानकारीकी आवश्यकता थी, उसे प्राप्त करनेके लिए पर्याप्त समय मिल चुका है, और उधर काश्तकार भी उत्तेजित हो रहे हैं; इसलिए जैसे भी हो, इस स्थितिको समाप्त करना आवश्यक है; क्योंकि यह बड़ी तेजीसे खतरनाक रूप धारण करती जा रही है। जो सवाल उठाये गये हैं, उन्हें तय करना खुद श्री गांधीके लिए असम्भव है, क्योंकि गोरे जमींदार उनकी सत्ता स्वीकार नहीं करेंगे। और यदि श्री गांधी ऐसा प्रयत्न करें भी तो यह तो सरकारका काम अपने हाथों में लेना होगा। सरकारका विचार था कि जबतक बन्दोबस्त विभागकी रिपोर्ट नहीं मिल जाती, तबतक विवादास्पद प्रश्नोंपर विचार स्थगित रखा जाये, किन्तु वर्तमान परिस्थितियोंको देखते हुए अब वह मानती है कि यह बात सम्भव नहीं रही। अतः एक समिति नियुक्त करनेका निश्चय किया गया है, जिसके अध्यक्ष एक अन्य प्रान्तके वरिष्ठ राजस्व अधिकारी (श्री स्लाई) होंगे और सदस्य निम्नलिखित व्यक्ति होंगे: भारत सरकारके राजस्व विभागके उप-सचिव श्री रेनी, कानूनी सलाहकार श्री ऐडमी, विधान परिषद्‌में गोरे जमींदारोंके प्रतिनिधि श्री डी. रोड, जमींदारोंके प्रतिनिधिके रूपमें अमावांके राजा हरिहर प्रसाद नारायण सिंह और काश्तकारोंके प्रतिनिधिके रूपमें स्वयं श्री गांधी। कहनेकी आवश्यकता नहीं कि अन्तिम तीन सज्जनोंकी नियुक्ति उनकी स्वीकृतिके बिना नहीं की जा सकती, मैंने श्री गांधीसे पूछा कि क्या आप समितिमें काम करनेको तैयार हैं। पहले तो उन्होंने कहा कि मैं समितिके बाहर ही रहना पसन्द करूँगा, जिससे स्वयं गवाही दे सकूँ। किन्तु कुछ विचार-विमर्श के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि उनका समितिमें रहना हितकर है, बशर्ते कि सरकार यह मान ले कि उनके कुछ निश्चित विचार हैं, जिन्हें सदस्य बदल नहीं सकते। फिर वे, स्वयं भी एक लिखित वक्तव्यके रूपमें समितिके सम्मुख अपनी गवाही पेश करना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह इच्छा भी व्यक्त की कि उन्हें पूछताछके लिए गवाहोंको पेश करनेकी स्वतन्त्रता दी जाये तो अच्छा रहे मैंने उनसे कहा कि आपको इन मामलोंमें समितिमें रहते हुए भी उतनी ही स्वतन्त्रता रहेगी, जितनी कि बाहर रहनेपर होती। इसपर श्री गांधीने पंडित मदनमोहन मालवीयसे सलाह करनेके

 
  1. १. लेफ्टिनेंट गवर्नरका यह नोट गांधीजीको दिखाया गया था और उन्होंने इसमें कुछ संशोधन कर दिये थे।