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राष्ट्रीय स्कूलके अध्यापकोंसे वार्तालाप

शिक्षकोंके लिए आवश्यक होगा

१. हिन्दी तथा मराठी भाषाका ज्ञान।
२. बुनाईका काम
३. स्वास्थ्य-संरक्षण
४. हिन्दुस्तानकी तीर्थ यात्रा
५. पाठशालाके अतिरिक्त आश्रमके अथवा मेरे मन्त्रीके रूपमें काम करनेकी तैयारी।

पढ़ाने के उपरान्त शिक्षकोंके करनेके काम

१. पाठ्य-पुस्तकें
२. पारिभाषिक कोष

सह-शिक्षा

मैं स्वयं सह-शिक्षाके पक्षमें हूँ लेकिन शिक्षकोंकी राय अलग हो तो मैं आग्रह नहीं करता।

मैं [लड़के और लड़कियोंके] एक-साथ रहने के पक्षमें नहीं हूँ। छात्रालयमें लड़कियोंको नहीं रखा जा सकता। लड़कियोंको तो, मेरे मतानुसार, जहाँतक हो सके, माताओंके निरीक्षणमें ही रखा जाना चाहिए। उनके अलावा और किसीके साथ नहीं रखा जा सकता। गर्मियोंमें छुट्टियाँ दी जायें और पाठशालाको ठण्डी जगह ले जाया जाये। उससे मैं समझता हूँ, अध्यापक और विद्यार्थी बाकी समयमें बहुत अच्छा काम कर सकते हैं। छुट्टियोंमें शिक्षकों तथा विद्यार्थियोंको साथ रहना चाहिए।

अंग्रेजी वैकल्पिक विषय होगा। अंग्रेजी [का ज्ञान] अच्छा लेकिन शुद्ध चाहिए। इसके लिए कोई अंग्रेज अध्यापक मिल जाये तो बहुत अच्छा हो लेकिन फिलहाल मेरे ध्यानमें कुमारी इलेसिनके अतिरिक्त और कोई नहीं है। यदि वे आयें तो कहना ही क्या? वे बहुत भली महिला हैं। पाठशालाके विद्यार्थीको किसी भी अंग्रेजके साथ बिना घबराहटके शुद्ध अंग्रेजीमें बातचीत करनी आनी चाहिए।

आलेखन (ड्राइंग) की शिक्षा ललित कलाके रूपमें नहीं बल्कि व्यावहारिक ज्ञानको ध्यान में रखकर दी जायेगी जिससे उसे मानचित्र बनाना, सीधी लकीरें खींचना, सुन्दर अक्षर लिखना तथा किसी भी वस्तुकी स्मृतिके आधारपर चित्रांकन करना आ सके।

पाठशालामें अनुशासनके लिए नियम बनाये जायेंगे। लेकिन उनके पालनमें दबाव अथवा जोर-जबरदस्तीसे काम नहीं लिया जायेगा। विद्यार्थियोंका मन स्वेच्छया उनका पालन करनेका होना चाहिये। वे उन नियमोंका पालन करते हैं या नहीं, इस बातका ध्यान रखा जायेगा। पालन न करनेपर नापसन्दगी जाहिर की जायेगी। पालन करनेके लिए उनको समझाया जायेगा।

पाठशालामें, आरम्भमें, एक-सौ विद्यार्थी भर्ती किये जायेंगे और वे सब ऐसे होंगे जो अपना खर्च चला सकें। किसी भी विद्यार्थीके लिए पाठशालाके कोषमें से कुछ भी