अपने प्रति आपके अतिशय सौजन्यसे प्रेरित होकर मैं आपसे एक अनुरोध और करना चाहता हूँ। क्या मैं यह आशा करूँ कि प्रस्ताव अवसरके महत्त्वके अनुरूप होगा और उसकी भाषा बिलकुल स्पष्ट होगी? किसानोंके नाम देशी भाषामें जो सन्देश प्रकाशित किया जाये वह उनके हृदयोंको छूनेवाला होना चाहिए और उसमें सारी बात पूरी तरह समझाकर कही जानी चाहिए। अगर इसमें अविनय न मानी जाये तो मैं कहना चाहूँगा कि यदि सरकार इस सम्बन्धमें मेरी सेवाओंको उपयोगी समझे तो मैं उन्हें प्रदान करनेके लिए सहर्ष प्रस्तुत हूँ।
मैं मोतीहारी तारीख ८ को पहुँच जाऊँगा और वहाँ इस माहकी १२ तारीख तक रहूँगा। तारीख १५ को मुझे भागलपुरमें एक काम निपटाना है और उसके बाद ७ नवम्बर तक मुझे [अपने कार्यक्रमसे] छुट्टी नहीं मिलेगी; ७ नवम्बरको मैं वापस मोतीहारी जा पहुँचनेकी उम्मीद करता हूँ। मैं आज रांचीसे रवाना हो रहा हूँ।
आपका विश्वस्त,
मो० क० गांधी
गांधीजीकें स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से ; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १८९, पृष्ठ ३९१-२ से ली।
४१९. पत्रका अंश[१]
[अक्तूबर ४, १९१७][२]
कल समितिकी रिपोर्टपर सदस्योंकी सही हो गई। उसे सबने स्वीकार किया है। मैं फिर दौरेपर निकल रहा हूँ।[३]
सबको मेरा स्नेह कहें।
आपका,
मो० क० गांधी
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७२७) से।
सौजन्य: एच० एस० पोलक