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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हो गये। श्री हॉल्टमने हम सभीको सम्बोधित करके कहा: “तुम लोकको हम देखेगा। तुमसे [हमारा] कौन नाता अब है। जिरात दे दिया। मैं तुमसे हर भैंस पीछे १२ आने, हर बैल पीछे ८ आने और हर गाय पीछे ४ आने परतीमें चरानेके लिए वसूल करूँगा। अगर तुम नहीं दोगे, तो मैं तुम्हारे मवेशियोंको काँजीहाउसमें डाल दूँगा । तुमको नील भी उगानी पड़ेगी।” मवेशी चरानेके लिए अभी तक हमको कुछ भी नहीं देना पड़ा है। हम उनकी बात सुनते रहे, कहा कुछ नहीं। वे अपने आदमियोंसे बात करके चले गये।

मो० क० गांधी द्वारा दर्ज और
आवश्यकतानुसार बाबू राजेन्द्रसाद द्वारा
स्पष्ट किया गया बयान।

(ख)

मोजा टोकरहा, टोला शिकारपुर, कोठी ढोकरहाका कोइरी जनाई महतो वल्द ठाकुंर महतो।

मेरे एक स्त्री है, बच्चा कोई नहीं। मेरी उमर ४० साल है। शिकारपुरमें मेरी ३॥ बीघे जमीन है। मुझपर २॥ कट्ठे जिरात जमीन थोपी गई थी। यह बात आजसे करीब दस साल पहलेकी है। मैंने और भी कई लोगोंके साथ श्री गांधीके जरिये अपनी जिरात वापस करनेकी बात कहलवाई थी। श्री गांधी जिस दिन सरसवामें आये मैं उस दिन मौजूद था। करीब ६ बजे शामको मैं ढोकरहा कोठीके पाससे निकलता हुआ शिकारपुर लौट रहा था। कोठीकी कचहरी उसके अहातेमें है। पाससे गुजरनेवालेको कचहरी साफ दिखाई पड़ती थी, जैसी कि मुझे भी दिखाई पड़ी। मैंने सुखारी महतोको बरामदेमें देखा। वह बरामदेके फर्शपर कागजातका एक पुलंदा लिये खड़ा था। मुझे मालूम है कि कचहरी आगमें जल चुकी थी। मुझे इस बातपर यकीन नहीं कि वह काम रैयतका है।

मो० क० गांधी द्वारा दर्ज और
आवश्यकतानुसार बाबू राजेन्द्रप्रसाद द्वारा
स्पष्ट किया गया बयान

(ग)

चेलाभर, कोठी ढोकरहाका देवनारायण राय वल्द ठाकुर राय।

मेरी उम्र ४० साल है। मेरी पत्नी जीवित है। कोई बच्चा नहीं है। चेलाभरमें मेरे पास १२ बीघे जमीन है। ८ कट्ठे जिरात जमीन मुझपर थोपी गई थी। मैंने श्री गांधीके जरिये जिरात वापस करनेके लिए कहलवाया था। कल श्री हॉल्टमका सिपाही मुझे राजकुमारके घर जाकर कोठीसे खरीदे हुए भूसेकी कुटाईके लिये तहसीलदारको २ रुपये देनेके लिए पकड़ लाया था। रुपये अदा करनेके बाद मैं वहाँ खड़ा हुआ था। ठीक उसी समय श्री हॉल्टम घोड़ेपर सवार आते हुए दिखाई दिये। वहाँ बहुतसे लोग मौजूद थे। श्री हॉल्टमके साथ वहाँ उनके सिपाही भी आये थे। पटवारी भी वहीं था। श्री हॉल्टमने सभी लोगोंसे कहा: “हमारा तुम्हारा नाता कौन। तुम लोग हमारा जिरात