पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/६२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५९३
परिशिष्ट

कोई भी कागज पेश करनेका आदेश दे सकेंगे, बागान मालिकों या अन्य लोगोंसे जवाब-तलब कर सकेंगे, और वे लिखित बयान तथा सम्बन्धित पक्षों द्वारा दिये जानेवाले उनके जवाब पेश होनेके बाद एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर अपना फैसला दे देंगे।

[अंग्रेजीसे]
सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, संख्या १८४, पृष्ठ ३६५-६६
 

परिशिष्ट १०

गाँधीजी और प्रमुख बागान-मालिकों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता

सितम्बर २९, १९१७

खण्ड ‘क’ के अन्तर्गत सर्वश्री हिल, नॉर्मन और इविन तथा श्री गांधीके बीच यह समझौता हो गया है कि शरहबेशीमें निम्नलिखित कटौती की जायेगी――

(१) मोतीहारी लिमिटेड और पीपरा संस्थानोंमें २६ प्रतिशत और

(२) तुरकौलिया लिमिटेडमें २० प्रतिशत। शर्तें (२) और (३) लागू रहेंगी।

यह समझौता १३२५ फसली सालके शुरूसे प्रभावी होगा, पिछले वर्षोंका लगान सर्वे-बन्दोबस्तकी दरोंपर ही बना रहेगा। सर्वेके कागजातमें दर्ज नील उत्पादनका वर्तमान दायित्व १३२५ फसली सालके शुरूसे रद कर दिया जाये और उसके बदले शरहवेशी निर्धारित की जाये। इसकी दर वही हो जो अन्य लोगोंके साथ उनके मामलोंमें भी एवजी माफी [कम्युटेशन] मिलनेपर होती, और उसमें अब जितनी कमी करना तय हुआ है। उतनी कमी कर दी जायेगी।

मो० क० गांधी

जे० बी० नॉर्मन
प्रबन्धक, पीपरा संस्थान
डब्ल्यू० एस० इर्विन
प्रबन्धक, मोतीहारी लिमिटेड
जे० एल० हिल
प्रबन्धक, तुरकौलिया लिमिटेड

[अंग्रेजीसे]
सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, संख्या १८६, पृष्ठ ३६७-६८
 
१३-३८