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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

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देनेकी प्रथाका, बड़ी हदतक सदासे अनुगमन किया जा रहा है। इनमें सीधे अपने प्रबन्धके गाँवों और ठेकेदारोंको पट्टेपर दिये गये गाँवोंकी संख्या इस प्रकार है :

जमींदारीका
नाम
सीधे अपने
प्रबन्धमें
स्थायी पट्टे पर अस्थायी पट्टोंपर
और अन्य पट्टोंपर
कुलयोग
बेतिया
रामनगर
२५२
३१
५०३
१०२
९६४
३६८
१,७१९[१]
५०१[२]

ठेकेदारकी यह पद्धति मधुबन जमींदारी विभागमें इतनी प्रचलित नहीं है। इस जमींदारीमें १६३ गाँव हैं जिनमें से कुछ पट्टेपर दिये हुए हैं।

जिलेमें इन ठेकेदारोंमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण वर्ग यूरोपीय नील उत्पादकोंका ही है। नीलकी कुछ पुरानी कोठियों (अर्थात् तुरकौलिया, पीपरा, मोतीहारी और राजपुर) को उन्नीसवीं शताब्दीके पहले दशकसे बेतिया राजके कुछ गाँवोंके पट्टे मिले हुए हैं और वे तबसे लगातार उनके नाम चले आते हैं; अन्य कोठियाँ बादमें स्थापित हुई हैं। उत्तरी-पश्चिमी जिलेमें भी कुछ यूरोपीय ठेकेदार हैं जिन्होंने नीलकी खेती कभी नहीं की या दो साल पहले तक नहीं की थी। १८९२-९९ के बन्दोबस्तसे यह पता चला था कि यूरोपीय ठेकेदार जिलेके ४६ प्रतिशत भागमें जमींदारी अधिकारोंका उपभोग कर रहे हैं। और प्रतीत होता है कि यह क्षेत्र अबतक सम्भवतः कुछ बढ़ गया है। मोटे तौरपर यह कहा जा सकता है कि जिलेका लगभग आधा भाग यूरोपीय ठेकेदारोंको और आधेसे कुछ ही अधिक भाग अन्य ठेकेदारोंको पट्टेपर दे दिया गया है। बेतिया और रामनगर दोनों जमींदारियोंने कुछको स्थायी पट्टे दिये हुए हैं जो मुकर्ररी कहलाते हैं। बेतियामें मुकर्ररी पट्टे १८८८ में आरम्भ हुए थे, ये एक बड़े कानूनी करारके अंग थे जिसके अनुसार इंग्लैंडमें कर्ज लिया गया था और उस कर्जसे राज्यके कर्ज़े इकट्ठे किये गये और उनका ब्याज घटाया गया था। इन पट्टोंकी शर्तोंके अनुसार पट्टेदारकी स्थिति प्रायः जमींदारकी जैसी है। उनका लगान स्थायी रूपसे निश्चित है। हम यह पता नहीं लगा सके हैं कि रामनगरकी जमींदारीमें मुकर्ररी पट्टे किन स्थितियोंमें दिये गये थे; किन्तु इसमें बहुत सन्देह प्रतीत नहीं होता कि बेतियाकी तरह रामनगर में भी वे मूलतः मालिककी आर्थिक परेशानीके कारण ही दिये गये थे।

नीलका क्षेत्र और खेतीके तरीके

४. यहाँ १८९२-९९ के बन्दोबस्तके समय नीलका क्षेत्र ९३,००० एकड़ था जो कुल खेतीके क्षेत्रका ६.६३ प्रतिशत होता है। किन्तु कृषिकी अर्थ-व्यवस्थामें उसका महत्त्व इस प्रतिशतसे जितना प्रतीत होता है वह वस्तुतः उसकी अपेक्षा बहुत अधिक था।

  1. ये आँकड़े बेतिया राज्यके मैनेजरने दिये हैं। बन्दोबस्त अधिकारीकी रिपोर्टके अनुसार राज्यमें कुल गाँव १,६३० हैं। स्पष्टतः गाँवोंकी इकाई में कुछ अन्तर है।
  2. ये आँकड़े बन्दोबस्त अधिकारीसे प्राप्त हुए हैं।