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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
अप्रैल ११: गांधीजी बिहार बागान-मालिक संघके मंत्री जेम्स विल्सनसे मिले और अपने आनेका प्रयोजन बताया।

संध्याको मुजफ्फरपुरके वकीलोंसे मिले।

लोक सेवा आयोगकी रिपोर्टके बारेमें रैमजे मैक्डॉनल्डके बयानका जवाब दिया और कहा कि यदि श्री गोखले रहते तो वे श्री अब्दुर्रहीमके साथ मिलकर एक अल्पमतीय रिपोर्ट तैयार करते।
अप्रैल १२: गांधीजीने तिरहुत डिवीजनके कमिश्नरको पत्र लिखकर भेंटकी अनुमति माँगी और स्थानीय प्रशासनके सहयोगकी कामना व्यक्त की।
अप्रैल १३: तिरहुतके कमिश्नर मॉर्सहेडसे मुजफ्फरपुरमें भेंट की। बादमें पत्र लिखकर अपने जाँच कार्यके क्षेत्रके विषयमें बताया और स्थानीय नेताओंके वक्तव्य साथमें भेजे।
अप्रैल १५: मगनलाल गांधीको पत्र लिखकर बताया कि चम्पारनकी स्थिति फीजी और नेटालसे भी ज्यादा खराब है।
मोतीहारी पहुँचे।
अप्रैल १६: चम्पारन जिलेके जसौली नामक स्थानके लिए रवाना हुए। सरकारने उन्हें पहली गाड़ीसे जिला छोड़कर चले जानेकी आज्ञा दी। गांधीजी मोतीहारी लौट आये और जिला मजिस्ट्रेट डब्ल्यू० बी० हेकॉकको आदेशका उल्लंघन करनेके इरादेकी सूचना पत्र द्वारा दी। कैसरे-हिन्द पदक वापस करनेके अपने निर्णयकी सूचना वाइसरॉयके निजी सचिवको पत्र लिखकर दी।
अप्रैल १८: मोतीहारीके जिला मजिस्ट्रेटेकी अदालतमें उपस्थित हुए और आदेशका उल्लंघन करनेका कारण बताते हुए एक वक्तव्य पढ़ा। मामला २१ अप्रैल तक के लिए स्थगित हो गया।
अप्रैल १९: गांधीजीके ऊपर जारी की गई सरकारी आज्ञाके विरोधमें बिहार प्रान्तीय संघकी कार्यकारिणीने वाइसरॉय और लेफ्टिनेंट गवर्नरको विरोधपत्र भेजनेका निश्चय किया।
अप्रैल २०: सरकारने गांधीजीके खिलाफ मुकदमा उठा लेनेकी आज्ञा दी और जिला अधिकारियोंको जाँच-कार्यकी अवधिमें उन्हें सारी सुविधाएँ देनेका आदेश दिया।
अप्रैल २१: गांधीजीने बिहार और उड़ीसा प्रान्तके लेफ्टिनेंट गवर्नरको मुकदमा उठानेके लिए धन्यवादका तार भेजा। सामाचारपत्रोंको एक वक्तव्य भेजा। हेकॉकसे भेंट की।
अप्रैल २२: मोतीहारीसे बेतियाके लिए रवाना हुए।
अप्रैल २३: बेतियाके सब-डिवीजनल अफसरसे भेंट की।
अप्रैल २७: बेतिया राजके प्रबन्धक जे० टी० ह्विटीने मॉर्सहेडको पत्र लिखकर गांधीजी द्वारा की जा रही जाँचपर आपत्ति करते हुए सुझाव दिया कि सरकार एक कमीशन नियुक्त करे।
अप्रैल २८: बिहार बागान मालिक संघके अवैतनिक मंत्री, हर्बर्ट कॉक्सने गांधीजी द्वारा जाँच किये जानेपर आपत्ति प्रकट करते हुए मॉर्सेहेडको पत्र लिखा। गांधीजीने