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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अनुमान किसी तरह कम है। आप जानते हैं कि सरकारी अन्दाजमें भी बादमें घटा-बढ़ी की गई है।

और यह कैसे कहा जा सकता है कि काफी ठोस रियायतें दी गई हैं; जब हम जानते हैं कि अभी तक एक भी रियायत नहीं दी गई ? प्रैटने जब कहा कि रबीकी फसल पचीस फीसदीसे कम होगी, तो माफी दी जायेगी, तब वह हमें केवल बहला रहा था। क्या आप जानते हैं कि रबीकी फसलमें कपास, तम्बाकू, तुअर और अरंडा नहीं गिने जाते ?

और आपको रिपोर्ट प्रकाशित करनेकी जरूरत ही क्या थी ? जब इस संघर्ष में में पड़ा हुआ हूँ, तो रिपोर्ट प्रकाशित करनेके समयका निर्णय करनेका काम आपको मेरे ऊपर छोड़ देना चाहिए था।

अन्तमें आप यह क्यों समझ लेते हैं कि जितना अधिकारी मंजूर करें, उतना ही हमें मिल सकता है ? आप यह क्यों नहीं मानते कि जितना पानेके हम अधिकारी हैं, उतना हमें मिलना ही चाहिए ?

मेरे ख्याल से आप जरूरतसे ज्यादा काम हाथ में ले लेते हैं और इससे न तो अपने साथ और न कामके साथ ही आप न्याय कर पाते हैं। आप बीमार हैं और जितना काम संभाल सकते हैं, उससे कहीं ज्यादा काम आपने ले रखा है। आपको हिम्मतके साथ कहना चाहिए था कि इस जाँचका काम मैं अपने सिर नहीं ले सकता ।

मैं जानता हूँ कि आप मेरे पत्रका गलत अर्थ नहीं लगायेंगे। मैं आपको इतना स्नेह करता हूँ कि जान-बूझकर आपके प्रति अन्याय नहीं कर सकता। आपके प्रति अपना आदर, में इसी तरह प्रदर्शित कर सकता हूँ कि अपने हृदयके द्वार आपके सामने खोल दूँ और उसमें जो कुछ है, उसे आपको देखने दूँ । कोई भी मित्र इससे अधिक कुछ नहीं कर सकता। जो इससे कम करता है, वह उतना ही कम मित्र माना जायेगा ।

आपको मेरी प्रार्थना सुननी चाहिए और अमृतलालको गुजरातके काममें लगा देना चाहिए। इस प्रकार वह 'सोसाइटी' की अधिक अच्छी सेवा कर सकेगा, क्योंकि गुजरात- के काममें उसकी प्रतिभा सबसे अधिक निखरेगी। धारासभाका काम ऐसा व्यक्ति ही कर सकता है, जिसमें बुद्धि हो । किन्तु अस्पृश्योंका काम तो जिसमें बुद्धिको रास्ता बताने वाला हृदय हो, उसीसे हो सकता है। अमृतलाल इसी प्रकारके मनुष्य हैं।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य : नारायण देसाई