६४. पत्र: एम० आर० जयकरको
साबरमती आश्रम
१० मार्च, १९२०
मैं आपको [रिपोर्टका] अधिकांश लाहौसे और शेषांश अमृतसरसे भेज चुका हूँ।[१] मैंने हर चीजको यथासम्भव पूरी सावधानीसे देखनेकी कोशिश की है। आपने हाशियेपर जो सुझाव लिखे थे, उन सबपर मैंने विचार किया है और जिन्हें शामिल करने योग्य समझा उन्हें शामिल कर लिया है। कृपया मुझे सूचित कीजिए कि प्रगति कैसी हो रही है। क्या १६ अप्रैलतक रिपोर्ट तैयार हो जायेगी?[२]
द स्टोरी ऑफ माई लाइफ
६५. पत्र: एम० आर० जयकरको[३]
११ मार्च, १९२०
(१)
डाक-विभागके अधिकारियोंके सौजन्यसे में आपको अब पूरी सामग्री,[४] यानी २४ तककी सामग्री, भेज पा रहा हूँ। दूसरी किस्तमें मैंने कुछ जोड़ा है, कृपया उसपर गौर कर लेंगे। इस बार काफी अच्छी सामग्री भेजनेकी आशा करता हूँ।
(२)
आज थोड़ी और सामग्री भेज रहा हूँ। मेरे सन्तोषके लिए इतना काफी है। सच तो यह है कि अब मैं बहुत ज्यादा थक गया हूँ, और दुहरानेका काम तो मुझे बहुत भारी लग रहा है। रात में बिलकुल आराम नहीं कर पाया।
मैं चाहता हूँ, इस कामको भरसक सर्वांगपूर्ण बनाऊँ।
- ↑ तात्पर्य सन् १९१९ के पंजाबके उपद्रवोंकी रिपोर्ट के मसविदेके अंशोंसे है। यह रिपोर्ट जयकरकी देख-रेख में बम्बईमें मुद्रित हुई थी।
- ↑ के० सन्तानमने जो कांग्रेस पंजाव जाँच-आयोगके मन्त्री थे समाचारपत्रोंको सूचित किया था कि रिपोर्ट १६ अप्रैलको प्रकाशित हो जायेगी। परन्तु वह वस्तुत: २५ मार्चको प्रकाशित हुई थी।
- ↑ इस शीर्षकमें तीन पत्र हैं, जो गांधीजीने श्री जयकरको पंजाबके उपद्रवोंपर कांग्रेस-रिपोटकी प्रेसको भेजी गई प्रतिके बारेमें एक ही दिन लिखे थे।
- ↑ पंजाबके उपद्रवोंपर तैयार की गई कांग्रेसकी रिपोर्ट की प्रेस-प्रतिका हिस्सा।