१६३. पत्र : मतदाताओंको[१]
अखिल भारतीय होमरूल लीग
मसजिद बन्दर रोड
माण्डवी
बम्बई
[२५ सितम्बर, १९२० के पूर्व]
कांग्रेसके विशेष अधिवेशनने बहुत बड़े बहुमतसे नई कौंसिलोंके पूर्ण बहिष्कारका निर्णय किया है। इसलिए नई कौंसिलोंके निर्वाचनमें किसी भी उम्मीदवारको मत न देना आपका कर्त्तव्य है। फिर भी यदि कोई उम्मीदवार आपके नामपर खड़ा होना चाहे तो उसके लिए यह जान लेना जरूरी है कि आप नहीं चाहते कि वह या कोई अन्य व्यक्ति कौंसिलोंमें आपका प्रतिनिधित्व करें। इस उद्देश्यसे आपको उस प्रपत्र[२]पर हस्ताक्षर करने चाहिए जो तदर्थ तैयार किया गया है। अपने आस-पासके मतदाताओंको भी यह बता देता आपका कर्त्तव्य है कि उन्हें क्या करना चाहिए।
आप जानते हैं कि कौंसिलोंमें प्रवेश करना क्यों गलत है। सरकारने पंजाबके साथ न्याय करनेसे इनकार कर दिया है। ब्रिटिश मन्त्रियोंने खिलाफतके बारेमें मुसलमानोंको शपथपूर्वक दिये गये वचन तोड़ डाले हैं और इस सम्बन्धमें अन्य प्रकारसे भी उनकी गहरी भावनाओंकी उपेक्षा कर दी है।
हमें इन अन्यायोंका निराकरण करना है, और ऐसा अन्याय या विश्वासघात फिर न किया जाये, इसलिए हमें स्वराज्य प्राप्त करना है और इस हीनताके कलंकसे छुटकारा पाना है। हम यह सब कौंसिलोंमें जाकर नहीं कर सकते, और न वहाँ जाकर स्वराज्य ही प्राप्त कर सकते हैं। इसके विपरीत, यद्यपि हमारे प्रतिनिधि सरकारके अन्यायपूर्ण कानूनोंके खिलाफ मत दे सकते हैं, फिर भी वे उन [सरकारी] कानूनोंके निर्माता माने जायेंगे और इस तरह अनिच्छापूर्वक अन्यायके साधन बनेंगे। इसलिए अपने सम्मान की रक्षा करने, शीघ्र ही स्वराज्य प्राप्त करने और इन अन्यायोंका निराकरण करनेका सबसे अच्छा तरीका यही है कि मतदाता अपना कोई भी प्रतिनिधि कौंसिलोंमें न भेजें।
बॉम्बे क्रॉनिकल, २५-९-१९२०