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पत्र: कस्तूरी रंगा आयंगराको

इतना ही हिन्दू-मुस्लिम एकताका महत्त्व भी है। जिस तरह हम अंग्रेजोंकी गर्दनोंको नहीं काटना चाहते, उसी तरह हम परस्पर एक दूसरेकी गर्दनोंपर भी छुरी चलाना नहीं चाहते। हमें भाई-भाई बनकर रहना है। शैतान हमेशा छिद्रोंका लाभ उठाता है। इसलिए छिद्रोंको भरना ही हमारा काम है।

जिस तरह हिन्दुओं और मुसलमानोंको मिलजुल कर रहने की जरूरत है, उसी तरह हिन्दुओंके लिए यह आवश्यक है कि वे अस्पृश्यताके कलंकको मिटाकर हिन्दू धर्मके कलंकको दूर करें। कांग्रेसने सब हिन्दुओंसे अस्पृश्यताकी कुप्रथाको छोड़ने की विनती की है। आप यह तो अवश्य मानेंगे कि सरकार जिस तरह हिन्दुओं और मुसलमानोंकी अनबनका फायदा उठाने से नहीं चूकती, उसी तरह वह इस प्रथाके कारण हिन्दुओंमें फैले हुए असन्तोषसे भी पूरा-पूरा फायदा उठाने से नहीं चूकेगी। जबतक हममें ऐसी खामियाँ हैं तबतक हमारे स्वराज्य प्राप्त करने के प्रयत्नमें अगर हमें असफलता मिले तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

नागपुर कांग्रेस में सर्वसम्मति से पास किया गया प्रस्ताव[१] संक्षेपमें यही है। उसपर अमल करने में ही हमारी कसौटी होगी। हमने एक वर्षके भीतर स्वराज्य प्राप्त करनेका बीड़ा उठाया है। यदि सरकार अपनी शैतानियतको भूलकर और हमें सन्तुष्ट करके हमारी इच्छानुकूल यहाँ रहनेके लिए तैयार हो तो हम उसे रखना चाहते हैं; लेकिन यदि वह अपनी शैतानियतसे बाज न आये और हमें दबाना चाहे तो मेरा कहना है कि ऐसी सरकारको नष्ट करना ही हमारा धर्म हो जाता है। यह बात अगर आज हो सकती हो तो उसके लिए मैं कलतक रुकनके लिए तैयार नहीं हूँ। मेरी ईश्वरसे प्रार्थना है कि वह हमें इस भारी लड़ाई में आवश्यक बलिदान करनेकी शक्ति प्रदान करे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २०-१-१९२१
 

१०६. पत्र: कस्तूरी रंगा आयंगारको

[नागपुर]
८ जनवरी, १९२१

प्रिय श्री कस्तूरी रंगा आयंगार,[२]

आपका यह आश्वासन पाकर कि आप असहयोग सम्बन्धी प्रस्तावसे पूर्णतः सन्तुष्ट हैं और आप कांग्रेस द्वारा दो बार स्वीकृत विस्तृत प्रोग्रामका विरोध न करेंगे, प्रसन्नता

  1. असहयोग सम्बन्धी।
  2. पत्रकार और मद्रासके कांग्रेसी नेता; हिन्दूके सम्पादक; जिन्होंने सत्याग्रह जाँच समितिके सदस्यको हैसियतसे उक्त समिति तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा नियुक्त अन्य अनेक उप-समितियों में कार्य किया था।

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