पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/३४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


प्रेमकी परीक्षा असिधारपर चलनेमें है। हिन्दू यदि अपने धर्मंकी रक्षा करना चाहते हैं तो उन्हें असिधारपर चलना होगा।

मालवीयजी और शास्त्रीजी

उपर्युक्त भाईने पाँचवें प्रश्नको इस तरह उठाया है :

पंजाब और खिलाफतके सम्बन्धमें मालवीयजी और शास्त्रीजी उतनी ही तीव्रतासे नहीं सोचते जितनी तीव्रतासे आप सोचते हैं——आप अगर ऐसा मानते हैं तो आप भयंकर भूल करते हैं।

इतना कहनेके बाद इन्होंने कुछ दलीलें पेश की हैं जिनमें उन्होंने यह मान लिया है कि मैंने इन दोनों प्रौढ़ नेताओंपर आक्षेप किया है। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि ऐसी कोई बात नहीं है। दोनोंके प्रति मेरे मनमें जो आदर-भाव था वह यथावत् है और उनके प्रति मेरा प्रेम भी उसी तरह कायम है। मैंने तो मात्र वस्तुस्थितिका वर्णन करते हुए दो ऐसे मित्रोंका, जिनके साथ मेरा घनिष्ठ सम्बन्ध है, उदाहरण दिया है। खिलाफत और पंजाबके विषयमें मैं अधीर होकर अपना सर्वस्व होमनेके लिए कटिबद्ध हो गया हूँ और ये दोनों नेता इन दोनों अपमानोंको पी जानेके लिए तैयार हैं। इसे अगर कोई व्यवहार-कुशलता कहकर अच्छा माने तो मुझे कुछ नहीं कहना है। मेरे तई तो आचार ही मनुष्यकी भावनाओंका माप-दण्ड है। मुझे इस बारेमें अधिक महसूस होता है, यह कहकर मैं ज्यादा प्रतिष्ठा नहीं कमाना चाहता और मालवीयजी अथवा शास्त्रीजीको इस सम्बन्धमें कम महसूस होता है यह कहकर मैं लेशमात्र भी उनकी अवमानना नहीं करना चाहता।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ३०–१–१९२१

 

१५०. भाषण : बेलूर मठमें[१]

३० जनवरी, १९२१

लोगोंने श्री गांधी भाषण देनेकी प्रार्थना की। उन्होंने इसे स्वीकार किया और जानना चाहा कि वे उनका भाषण अंग्रेजीमें सुनना चाहते हैं या हिन्दीमें। इसके लिए उन्होंने लोगोंसे हाथ उठानेको कहा। बहुतसे लोगोंने हाथ खड़े किये कि वे अंग्रेजीमें बोलें। इसपर श्री गांधीने कहा कि आप लोग हिन्दी नहीं जानते इसका मुझे बहुत दुःख होता है। यह भाषा तो आपके अपने देशकी है। तब उन्होंने पूछा कि कितने लोग उनका भाषण हिन्दीमें सुनना चाहते हैं। काफी संख्यामें लोगोंने हिन्दीके पक्षमें भी हाथ खड़े किये। तब उन्होंने हिन्दीमें भाषण दिया और उनसे कहा कि सभी लोग

  1. यह भाषण कलकत्तेके पास रामकृष्ण मिशनके प्रधान कार्यालय, बेलूरमठमें स्वामी विवेकानन्दके जन्मदिवसपर दिया गया था।