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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


ईश्वर आपको बल दे, आपको कष्ट सहन करनेका साहस दे और आपको इस योग्य बनाये कि आप मातृभूमिके लिए हर प्रकारका बलिदान कर सकें ।

अभी स्वयंसेवक आपके पास आयेंगे। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप इस समय तिलक स्वराज्य निधिके लिए जो-कुछ दे सकते हैं, दें। यदि एलौरके लोग सब प्रकारके ऐशोआराम तथा आभूषणोंका परित्याग कर दें तो आप देखेंगे कि आप धर्म- राज्यको इतने थोड़े समयमें स्थापित कर लेंगे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सभाकी व्यवस्था सावधानीके साथ की गई, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद और बधाई देता हूँ। इस सुन्दर व्यवस्थाके कारण मुझे अधिक परेशानी नहीं हो पाई और मैं इस भारी कार्यक्रमको पूरा करने में समर्थ हो पाया। मैंने जो कुछ कहा उसे धैर्यके साथ सुननेके लिए भी मैं आपको धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ११-५-१९२१

२६४. पत्र: जी० ए० नटेसनको

बेजवाड़ा
४ अप्रैल, [ १९२१][१]

प्रिय श्री नटेसन,

मैं ८ तारीखको एक दिनके लिए मद्रास रहूँगा ; फिर भी शायद आपके यहाँ ठहरना सम्भव न हो सके। मैं यह भी नहीं चाहता कि सच्चे या तथाकथित सभी असहयोगियों- का आपके घर तांता लगा रहे या वे आपके निवास स्थानपर उन विषयोंपर खुलकर बातें करके आपको परेशान करें, जिनके बारेमें आपकी नापसन्दगी उन्हें मालूम है। मुमकिन है वहाँ पहुँचनेपर मैं आपके घर न आ सकूं, लेकिन में इतनी आशा तो करता ही हूँ कि मद्रासमें मेरे मेजबान मुझे जहाँ ठहरायेंगे आप वहीं मुझे अपने दर्शन देने आयेंगे ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० २२३३) की फोटो-नकलसे ।


  1. १. जैसा कि पत्रमें उल्लेख है १९२१ में गांधीजी ४ अप्रैलको बेजवाड़ा तथा ८ अप्रैलको मद्रासमें थे।