पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कानूनोंको बिलकुल मनमाने ढंगसे प्रयुक्त कर रहे हैं; और इनसे फायदा उठाया जा रहा है असहयोगियोंके इस निश्चयका कि वे न्यायालयोंमें सरकारी आदेशोंपर कोई आपत्ति नहीं उठायेंगे। सर विलियमका कहना है कि स्वराज्य देना उपद्रवी लोगोंके आगे झुकना है और इस प्रकार अराजकताको प्रश्रय देना है। वे उन दो बातोंके बारेमें अपना सिर खपानेकी कोई जरूरत नहीं समझते जो इस तमाम अशान्तिका कारण हैं और जो तीव्र विष बनकर देशके शरीरमें भिद गया है। खिलाफत' और पंजाबके साथ हुआ अन्याय--ये दो विष हैं। वे हमको यह क्यों नहीं बतलाते कि यदि खिलाफतके सिलसिलेमें किये गये वायदे पूरे कर दिये जायें और पंजाबके जख्मको भर दिया जाये तो भारतपर कौनसी विपत्ति आ जायेगी ।

सर विलियमने अली भाइयोंपर असज्जनतापूर्ण आक्षेप करके अपने इस विचित्रसे भाषणको और भी विचित्र बना डाला है-- वे अली भाई जो इस्लाम और भारतकी खातिर एक उच्च आदर्शपूर्ण संघर्ष चला रहे हैं। साथ ही उन्होंने याकूब हसन नामक सज्जनपर तो और भी असज्जनतापूर्ण आक्षेप किया तथा उसमें उनकी तुर्क पत्नीका अशोभनीय ढंगसे उल्लेख भी किया ।

मैं पहले भी बतला चुका हूँ कि इस भाषणको पढ़कर मुझे बड़ा दुःख पहुँचा था और उसकी आलोचना करनेका अपना कर्त्तव्य निभाना मुझे और भी पीड़ाजनक लगा है। मैं पाठकोंको आश्वस्त कर देना चाहता हूँ कि भाषाके प्रयोगमें संयमसे काम लेनेका आदी होनेपर भी मुझे इस भाषणकी आलोचना के दौरान भाषाको संयत रखनेके लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देनी पड़ी है, मुझे अपने-आपको रोके रखनेका बहुत अधिक प्रयत्न करना पड़ा है। मैं ऐसे अनेक विशेषणोंका उपयोग करनेमें सफल हो सका हूँ जो मेरी समझमें सर विलियमके कारनामेका ठीक-ठीक परिचय देते हैं और मुझे इसका दुःख है ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २०-४-१९२१

१. यह आन्दोलन प्रथम विश्व युद्धकी समाप्तिपर टर्कीको एकाधिक खण्डों में बाँटनेकी ब्रिटिश सरकारकी नीतिको बदलवानेके लिए शुरू किया गया था, जिससे खलीफाकी धार्मिक प्रतिष्ठापर भी बुरा प्रभाव पड़ता था। देशके मुसलमान इस मसलेपर बहुत ही उत्तेजित थे और कांग्रेसने इसे अपने कार्यक्रम में शामिल कर लिया था ।

२. अप्रैल १९१९ में पंजाबमें मार्शल लॉ के अन्तर्गत सरकार द्वारा किया गया दमन और हिंसापूर्ण कार्रवाइयों--जिनकी चरम परिणति जलियाँवाला बागके कस्लेआम में हुई, जिससे देशभरमें क्षोभकी लहर दौड़ गई थी। गांधीजीका मत था कि सरकार खिलाफत और पंजाबके बारेमें किये गये अन्यायोंको बरकरार रखनेके लिए असत्य और दम्भका सहारा ले रही है। ये ही बादमें असहयोग आन्दोलनके अहम मसले बने थे ।