पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/५११

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आत्म-निरीक्षण ४७९ अहिंसाकी पुनीत प्रतिज्ञा तो निश्चित रूपसे भंग होगी ही; उसके अतिरिक्त इस प्रकार कठोरसे-कठोर दमनका आह्वान करनेके बाद उसके कारण क्रोधसे उन्मत्त होना और भी अनुचित और कायरतापूर्ण होगा। सम्भव है, मैं गिरफ्तार कर लिया जाऊँ और साथ ही इस शान्तिमय क्रांतिमें भाग लेनेवाले दूसरे हजारों भाई भी गिरफ्तार कर लिये जायें, जेलखानोंमें डाले दिये जायें और उत्पीड़ित भी किये जायें। फिर भी भारतके दूसरे भागोंके लोगोंको अपनी विचार-शक्ति न खो बैठनी चाहिए। उचित समय आनेपर वे भी सविनय कानून-भंग शुरू करें और गिरफ्तारी, कैद और उत्पीड़नका आह्वान करें। हमें तो केवल निरपराध लोगोंका ही बलिदान करना है। केवल ऐसा बलिदान ही परमात्माके यहाँ मंजूर किया जायेगा । इसलिए उस भारी जंगके पहले जो देशमें शीघ्र ही छिड़नेवाली है मेरा हरएक असहयोगीसे बार-बार यही हार्दिक अनुरोध है कि वह दिल्लीके प्रस्तावकी' हरएक शर्तका अक्षरशः पालन करके सविनय कानून-भंग करनेकी योग्यता प्राप्त करे और चारों ओर अहिंसा तथा शान्तिका वायुमण्डल तैयार करे | हमें केवल इतनेपर ही सन्तोष न मानना चाहिए कि हम व्यक्तिशः शान्ति भंग न करेंगे । हम तो दावेके साथ यह कहते हैं कि असहयोग तमाम हिन्दुस्तानमें फैल गया है। हम यह भी कहते हैं कि हमने भारतके उन बेकाबू जनसाधारणपर भी इतना अधिकार कर लिया है कि हम उनको हिंसा करने से रोक सकते हैं। हमें अपनी यह बात सच्ची कर दिखानी चाहिए | [ अंग्रेजीसे ] यंग इंडिया, १७-११-१९२१ १९५. आत्म-निरीक्षण अनेक लोगोंने बड़ी करुण भाषामें पत्र लिखकर मुझसे यह कहा है कि यदि जनवरीतक स्वराज्य न मिले और यदि उस समयतक मैं जेलसे बाहर ही रहूँ तो भी मैं आत्म-हत्या न करूँ। मैंने देखा है कि भाषा मनुष्यके विचारोंको पर्याप्त रूपसे व्यक्त करने में समर्थ नहीं हो पाती, विशेष रूपसे तब जब स्वयं विचार ही अपने-आपमें उलझे हुए या अपूर्ण हों । 'नवजीवन' में मैंने जो कुछ लिखा, उसके बारेमें मेरा तो यही खयाल था कि वह बिलकुल स्पष्ट था । लेकिन मैं देखता हूँ कि उसके अनुवादको बहुत-से लोगोंने गलत समझा है । जो हाल अनुवादका हुआ है, वही हाल मूल लेखका भी हुआ है। मेरी बातको गलत समझनेका एक बड़ा कारण तो यह है कि लोग मुझे लगभग पूर्ण पुरुष मानते हैं। जिन मित्रोंको 'भगवद्गीता' के प्रति मेरी आस्थाकी जानकारी है, उन्होंने सम्बन्धित श्लोकोंके दृष्टान्त दे-देकर यह दिखानेकी कोशिश की है कि आत्म-हत्या १. देखिए " अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ", १०-११-१९२१ । २. देखिए “ आशावाद ", २३-१०-१९२१ । c Gandhi Heritage Portal