टिप्पणीयाँ | ८१ |
से काम लिया जा रहा है मैं यहाँ डा॰ अन्सारीके[१] पत्रसे निम्नलिखित उद्धरण[२] दे रहा हूँ:
१४ तारीखको एक भी स्वयंसेवक नहीं भेजा गया। १५ तारीखको सवेरे ४३ स्वयंसेवक गिरफ्तारी के लिए…डिप्टी कमिश्नरको भेजे गये पत्रमें लिखे स्थानपर पहुँचे।…
१६ तारीखको ४० और ४६ स्वयंसेवकोंके दो जत्थे क्रमशः दरियागंज पुलिस चौकी और सब्जीमण्डी पुलिस चौकीपर गये, लेकिन बार-बार अनुरोध करनेपर भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
१६ तारीखको अधिकारियोंने शक्तिका असाधारण प्रदर्शन किया। घुड़सवार पुलिस, कुछ सार्जेंट, डिप्टी कमिश्नर, एस॰ पी॰, डी॰ एस॰ पी॰, एक मजिस्ट्रेट और अनेक भारतीय पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। सभी बैंकोंपर पुलिसका पहरा था और जगह-जगह पुलिस के जवान तैनात थे। पुलिसका भारी जमाव देखकर जैसे भीड़ लग जाती है, वैसे ही कोतवालीके सामने भी भीड़ जमा हो गई, लेकिन सादे लिबासमें हमारे लोग उन्हें हटाते जाते थे और शान्ति रख रहे थे। लेकिन कुछ सार्जेंट भीड़को हटाने में अत्यधिक उग्र हो गये और चाबुक चलाने लगे। भारतीय पुलिसने तो मार्केका संयम दिखाया, लेकिन सार्जेन्टोंके जनतापर हमले से कई लोगोंको गम्भीर चोटें आईं।
इस हिंसात्मक हमलेके बावजूद लोगोंने बड़े साहसका परिचय दिया और शान्त बने रहे। उन्होंने बदले में हमला नहीं किया।
हमें पता चला है कि शक्तिके इतने उग्र प्रदर्शनका कारण यह झूठी अफवाह थी कि हकीम अजमल खाँ साहब[३] १६ तारीखको एक हजार स्वयंसेवकों का जत्था लेकर निकलनेवाले हैं।
भविष्यके लिए अपनी योजनाओंमें हमने परिवर्तन कर दिया है। और अब हम स्वयंसेवकोंसे चरखे बाँटने, अलग-अलग स्थानोंसे सूत जमा करने, खादी तैयार करने और बेचने आदिका उनका सामान्य काम करायेंगे।
स्वयंसेवकों को गिरफ्तार करनेसे इनकार कर देना इस बातका साफ सबूत है कि हमारी नैतिक विजय हो गई है, लेकिन हम चुप बैठनेवाले नहीं हैं। शहर में प्रत्येक वयस्क पुरुषको राष्ट्रीय स्वयंसेवक दलमें भरती करनेके लिए जोरदार आन्दोलन चलाया जा रहा है। हमें आशा है कि जल्दी ही प्रत्येक