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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

चुनौतीको स्वीकार करेंगे और इसे अब अपनी इज्जतका सवाल बना लेंगे कि अपनी पूरी संख्या में कांग्रेस में आयें। हजाराके कमिश्नरकी यह कार्रवाई बंगाल, संयुक्त-प्रान्त और असममें खिलाफत के दफ्तरोंपर मारे गये छापोंके अनुरूप ही है। तरीकोंका एकसा होना यह दिखाता है कि उनकी साजिश एक ही है कि कांग्रेस और खिलाफत समितियोंको समाप्त करके आन्दोलनको कुचल दिया जाये।

बिहारका सहयोग

पटनासे आये एक तारमें[१] कहा गया है:

दूसरा तार है:

सोमवारको स्वयंसेवकोंके अठारह जत्थे १० से ४ बजेतक शहर-भरमें, मुख्यतः कचहरियों में घूमे। लोगोंसे अपील की गई कि अपने मामले पंचायतों में ले जायें। एक प्रमुख वकीलसे भी वैसा ही करनेका अनुरोध किया गया, अन्य वकीलों ने गालियाँ दीं, दो स्वयंसेवकों, हबीब और अब्दुल मजीदको चाँटे मारे जो बिलकुल शान्त रहे और अधिक दृढ़तापूर्वक अपने काममें जुट गये। लोग अहिंसा की सचाईको समझ रहे हैं। खादीका प्रयोग आम होता जा रहा है। आगे और भी सविनय अवज्ञाकी तैयारीमें लगे हैं।

जनक और सीताकी भूमि बिहार, भारत के सबसे विनम्र और सन्तप्त लोगोंकी भूमि बिहार, कष्टोंकी भूमि है। बिहार ही वह प्रान्त है जो सबसे ज्यादा अहिंसावादी रहा है। असहयोगकी अधिकांश बातोंके परिणाम वहाँ असाधारण रूपसे बढ़िया रहे हैं। अठारह महीने पहले जहाँ बिहार चरखे और खादी के इस्तेमालसे बिलकुल अनभिज्ञ था, वहीं अब उसके गाँवोंमें हजारों चरखे चल रहे हैं और हजारों औरत-मर्द आदतन खादी पहनने लगे हैं। वहाँ हिन्दू-मुसलमान दोनोंमें शायद हिन्दुस्तानके सबसे निःस्वार्थं कार्यकर्ता मौजूद हैं जो मौन रहकर काम करते रहते हैं, बढ़-बढ़कर बातें नहीं बनाते। किसीने वहाँके नेताओंकी ईमानदारी के बारेमें गुपचुप तौरपर भी कुछ नहीं कहा है, फिर भी उसके शान्तिपूर्ण कार्यकलापमें इतनी निर्ममतापूर्वक दखलन्दाजी की जा रही है।

लेकिन यह सब कुछ देशके भलेके लिए ही है । यदि इन सब कैदकी सजाओं, लात-थप्पड़ों आदिको बिना कुढ़े, बहादुरी के साथ और बिना वैरभावके सहन कर लिया गया, तो इससे बिहारियोंकी शक्ति ही बढ़ेगी। जनताको यह अग्नि परीक्षा देनी पड़ेगी कि अहिंसा, खादी, नशाबन्दी, मुकदमेबाजीसे बचने, आत्म-संयम और आत्म-शुद्धिमें उसकी कितनी आस्था है। यही स्वराज्य के लिए हमारी पात्रताका भी मापदण्ड होगा।

'इंडिपेंडेंट' का दमन

पाठकोंको याद होगा कि श्री जॉर्ज जोजफकी गिरफ्तारीके फौरन बाद जब प्रकाशक और मुद्रकके रूपमें श्री महादेव देसाईने नया डिक्लेरेशन दाखिल किया था,

  1. तार यहाँ नहीं दिया गया है। उसमें सूचित किया गया था कि डेढ़ सौ स्वयंसेवकोंके अतिरिक्त एक दर्जन प्रमुख व्यक्तियोंको गिरफ्तार कर लिया गया है।