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भाषण:अहमदाबादके कांग्रेस अधिवेशनमें-१

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके अथवा कार्य समितिके विशेष अधिवेशन बुलानेका अधिकार भी शामिल है। इन अधिकारोंका उपयोग वे कांग्रेसकी किन्हीं दो बैठकोंके बीचको अवधिमें ही कर सकते हैं। किसी आकस्मिक आवश्यकताके समय अपने स्थानपर किसी दूसरेको मुख्तारआम मुकर्रर करनेका भी अधिकार उन्हें है।

यह कांग्रेस ऐसे उत्तराधिकारी मुख्तारआमको तथा उनके पीछे जो-जो उत्तराधिकारी मुकर्रर होते जायेंगे उन सभीको पूर्वोक्त सभी अधिकार देती है।

पर इसमें शर्त यह है कि इस प्रस्तावकी किसी बातसे महात्मा गांधीको अथवा किसी भी पूर्वोक्त उत्तराधिकारीको यह अधिकार नहीं होगा कि वे भारत सरकार अथवा ब्रिटिश सरकारसे, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी मंजूरी लिये बिना अथवा उस मंजूरीको विशेष रूपसे आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में स्वीकृत कराये बिना किसी तरह की सुलह करें; और एक शर्त यह भी है कि जबतक कांग्रेसकी आज्ञा पहले न प्राप्त कर ली जाये, महात्मा गांधी या उनके उत्तराधिकारी कांग्रेसके ध्येयको न बदलें।

यह कांग्रेस उन समस्त देशभक्तों को बधाई देती है जो अपनी अन्तरात्माकी पुकारपर अथवा अपने देशके लिए कारावास भोग रहे हैं और यह मानती है कि उनके आत्मबलिदानने स्वराज्यके आगमनको गतिको बहुत तेज कर दिया है।[१]

इस प्रस्तावको अंग्रेजी और हिन्दुस्तानीमें पढ़ने में मुझे पूरे ३५ मिनट लगे हैं। यदि सम्भव हुआ तो मैं चाहूँगा कि मुझे अब ३० मिनट भी, जितना समय कि हकीमजी साहबने मुझे दिया है, न लगें। और यदि सम्भव हुआ तो मैं यह सब समय नहीं लूँगा क्योंकि मेरे खयालमें यह प्रस्ताव खुद बहुत साफ है। यदि पन्द्रह महीनोंकी लगातार सक्रियता के बाद भी यहाँ इस अधिवेशनमें एकत्रित आप सब प्रतिनिधियोंको यह मालूम नहीं कि आप करना क्या चाहते हैं, तो मैं निश्चित रूपसे कह सकता हूँ कि मैं दो घंटे के भाषण से भी आपको विश्वास नहीं दिला सकूंगा। इसके अलावा, यदि मैं आज आपको अपने भाषण के बलपर विश्वास दिला भी सका तो मुझे भय है कि अपने देशवासियों पर मेरी कोई आस्था नहीं रह जायेगी, क्योंकि इससे यह जाहिर होगा कि उनमें संगत ढंगसे सोचनेकी क्षमता नहीं है। कारण, मेरा कहना यह है कि इस प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है, कोई चीज ऐसी नहीं है जो हम अबतक बराबर करते न रहे हों, अबतक बराबर सोचते न रहे हों। कोई भी चीज इस प्रस्तावमें ऐसी नई नहीं है जो तनिक भी चौंकानेवाली हो। आपमें से जिन्होंने कार्य समितिकी हर महीने की कार्यवाहियोंपर और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी हर तीसरे महीनेकी कार्यवाहियोंपर ध्यान दिया है और उनके प्रस्तावोंका अध्ययन किया है, वे केवल एक

  1. ये अनुच्छेद "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके छत्तीसवें अधिवेशनकी रिपोर्ट" में शामिल थे। इसके बादके अनुच्छेद १९-१-१९२२ के यंग इंडियासे लिये गये हैं, जिसमें इनकी प्रस्तावनाके रूपमें यह टिप्पणी दी गई थी: "यह श्री गांधीके उस भाषणका पुनरीक्षित पाठ है जो उन्होंने कांग्रेस अधिवेशनमें मुख्य प्रस्ताव पेश करते हुए दिया था।"