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भाषण:अहमदाबादके कांग्रेस अधिवेशनमें-२

यह प्रस्ताव किसीको भी घमण्ड-भरी चुनौती नहीं है, बल्कि यह चुनौती है उस सत्ताको जिसका सिंहासन घमण्डपर टिका है। यह चुनौती है उस सत्ताको जो करोड़ों विचारशील मनुष्योंके सुविचारित मतकी उपेक्षा करती है। यह एक विनीत किन्तु अटल चुनौती है उस सत्ताको जो अपनेको बचाने के लिए विचारकी स्वतन्त्रता और संस्थाएँ बनानेकी स्वतन्त्रताको—उन दो फेफड़ोंको जो स्वाधीनताकी आक्सीजन प्राप्त करने के लिए मनुष्य के लिए अत्यावश्यक हैं—कुचलना चाहती है; और यदि कोई सत्ता इस देशमें भाषणकी स्वतन्त्रता और संस्थाएँ बनानेकी स्वतन्त्रताको रोकना चाहती है, तो मैं इस मंचसे आपकी ओरसे यह कहना चाहता हूँ कि वह सत्ता, यदि उसने पश्चात्ताप नहीं किया तो भारतके आगे जो उच्च साहस, महान् उद्देश्य और संकल्पसे इस्पात बन चुका है, नष्ट हो जायेगी, भले ही अपनेको भारतीय कहनेवाले सब नर-नारी इस पृथ्वीसे मिट जायें। ईश्वर ही जानता है कि यदि मैं आपको पहले गोलमेज सम्मेलनमें जानेकी सलाह दे सकता, यदि मैं आपको सविनय अवज्ञाके इस प्रस्तावको स्वीकार न करनेकी सलाह दे सकता, तो मैंने ऐसा ही किया होता।

मैं शान्तिप्रिय व्यक्ति हूँ। मेरा शान्तिमें विश्वास है। पर मैं शान्ति हर मूल्यपर नहीं चाहता। मैं उस तरह की शान्ति नहीं चाहता जो हमें पत्थरोंमें मिलती है; मैं उस तरह की शान्ति नहीं चाहता जो हमें कब्रोंमें मिलती है। मैं तो उस तरहकी शान्ति चाहता हूँ जिसका निवास मनुष्यके हृदयमें है वह शान्ति जिसे सारी दुनिया अपने बाणोंसे बींधनेको तुली हुई है, पर जिसे सर्वशक्तिमान् प्रभुकी शक्ति सभी तरह की क्षतिसे सुरक्षित रखती है।[१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९-१-१९२२

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके छत्तीसवें अधिवेशनकी रिपोर्ट

४८. भाषण:अहमदाबाद के कांग्रेस अधिवेशनमें–२

[२८ दिसम्बर, १९२१][२]

भाइयो और बहनो,

मैंने जो कुछ अंग्रेजीमें कहा है वही आपसे नहीं कह रहा हूँ। जो बात आपसे कहता हूँ वह आप जानते हैं और समझते हैं। हमारी समस्या यह है कि सिख भाइयोंके बारेमें क्या करना है। मैं स्वराज्य पानेतक आपसे शान्तिसे जो काम कर रहे हैं करने को कहता हूँ। आप लोग इरादेमें भी और खयालमें भी शान्ति रखें। हाथमें तो शान्ति कायम रखते हैं लेकिन जबान भी साफ रखनी चाहिए। हमारी वाणी अबतक साफ नहीं रही है। शान्तिसे काम करनेवालों की वाणी भी साफ रहनी

  1. इसके बाद गांधीजीने हिन्दीमें भाषण दिया। हिन्दीके पाठके लिए देखिए अगला शीर्षक।
  2. "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके छत्तीसवें अधिवेशनकी रिपोर्ट" के अनुसार।