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भाषण:हसरत मोहानी के प्रस्तावपर-१

खिलाफ चलेगा तो बड़ी मुश्किल होगी। आप उस तरीकेसे काम करें और तब शान्तिपूर्वक स्वराज्य और पंजाबका मसला तय करके खिलाफत भी ले लें। आज, २-१-१९२२

४९. भाषण:हसरत मोहानीके प्रस्तावपर[१]–१

अहमदाबाद
२८ दिसम्बर, १९२१

अध्यक्ष महोदय, भाइयो और बहनो,

मुझे रंज होता है कि हमारे बीच आज ऐसे भी प्रतिनिधि बैठे हैं जो बिना सोच-विचारके ऐसी माँग करते हैं कि हम ऐसा चाहते हैं, हम वैसा चाहते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हमारे सामने क्या मौका है, हम नहीं जानते। मुझे साथ-साथ यह खुशी है कि ऐसे भी आदमी हैं जो कुछ भी कहनेसे डरते नहीं। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि जहाँ कभी हम स्वराज्यका नाम-भर लेनेसे डरते थे, वहाँ आज यह बात कह सकते हैं कि ब्रिटिश सल्तनतके साथ नहीं रह सकते, हमें पूरी आजादी चाहिए। इससे भी बड़ी बात कहनेसे नहीं डरते इसका मुझे विश्वास है।

आपने सुना कि हसरत मोहानीने क्या बमका गोला हमारे सामने रखा है। एक बात ही रखी है कि हमें पूर्ण स्वराज्य चाहिए। यह प्रस्ताव पिछले प्रस्तावका विरोधी है, 'कांग्रेस क्रीड का भी विरोधी है। हम छोटी बातको नहीं कर सकते, और बड़ी बातको सोचना चाहते हैं, हसरत साहबके प्रस्तावका यही अर्थ है। जो कुछ उनके प्रस्तावमें अच्छा है, वह सब कांग्रेसके प्रस्तावमें है ही। हसरत साहबके प्रस्तावसे बहुतसे लोग डर जायेंगे। अबतक हमारे बीच हिन्दू-मुसलमान ऐक्य भी अच्छी तरहसे कायम नहीं हुआ है। उसके आगे हम लम्बी बात करना चाहते हैं। इससे हमारा काम बिगड़ता है। मुझे उम्मीद है आप हसरत साहब के प्रस्तावको नापसन्द करेंगे।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके छत्तीसवें अधिवेशनकी रिपोर्ट

  1. कांग्रेस अधिवेशनमें, हसरत मोहानीके प्रस्तावके सम्बन्धमें दिया गया। प्रस्ताव इस प्रकार था: "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसका ध्येय भारतकी जनता द्वारा सभी वैध और शान्तिपूर्ण साधनोंके बलपर ऐसा स्वराज्य या पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है जो सभी प्रकारके विदेशो नियन्त्रणसे सर्वथा मुक्त हो।" गांधीजीने पहले हिन्दी और बादमें अंग्रेजीमें भाषण किया। अंग्रेजी भाषणके लिए देखिए अगला शीर्षक।
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