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भेंट:बंगालके प्रतिनिधियोंसे

करेगा कि जिससे उसके साथके कैदी नीति-भ्रष्ट हों। खुल्लमखुल्ला जेलके नियमोंको भंग करनेका या भूख हड़तालका मौका सिर्फ तभी हो सकता है जब या तो उन्हें अपमानित करनेका प्रयत्न किया जाता हो, या सन्तरी लोग खुद ही कैदीको आराम पहुँचाने के नियमोंको तोड़ते हों, जैसा कि वे अक्सर करते हैं, या जब कि खाना इतना खराब दिया जाता हो जिसे मनुष्य नहीं खा सकता, जैसा कि प्रायः दिया जाता है। हाँ, जब अपनी किसी आवश्यक धर्म-विधिमें बाधा डाली जाये तब भी जेलके अन्दर सविनय अवज्ञा की जा सकती है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २९-१२-१९२१

५२. भेंट:बंगालके प्रतिनिधियों से[१]

अहमदाबाद
२९ दिसम्बर, १९२१

महात्माजी: मेरा सुझाव यह है कि आप जो चाहें मुझसे पूछें।

एक प्रतिनिधि:प्रश्न कठिन है। हम जानना चाहते हैं कि हमारे कामका तरीका क्या होगा?

महात्माजी: जो प्रस्ताव हमने पास किये हैं वे वास्तवमें इस तरह संक्षेपमें कहे जा सकते हैं कि सरकार द्वारा स्वयंसेवक दलोंको भंग करने और आम सभाओं पर रोक लगाने के सम्बन्धमें निकाली गई दो घोषणाओंके रूपमें जो दमन किया है, हम उसका जवाब देना चाहते हैं। इसलिए हम सभी आदमियों और औरतोंको स्वयंसेवक बनाकर और जब जरूरी हो और जरूरी न हो तब भी आम सभाएँ और समितियोंकी बैठकें करके उन घोषणाओंका प्रतिरोध करते हैं। परन्तु इसके दो तरीके हैं: इनमें एक यह है कि हम जब अनावश्यक हो तब भी आम सभाएँ करके सरकारको अपने खिलाफ कदम उठाने के लिए उकसाएँ। परन्तु मेरी राय है कि आप ऐसा न करें। यह तो आक्रमणात्मक हो जायेगा। किन्तु जबतक हमारे समस्त रक्षात्मक उपाय समाप्त न हो जायें, तबतक हमें आक्रमणात्मक उपायोंको काममें लाने की जरूरत नहीं है और उनका काममें लाना उचित नहीं है। इसलिए जबतक आप स्वयंसेवक भरती करते रह सकते हैं और उनसे सामान्य तरीकेसे काम लेते रह सकते हैं, और जबतक आप अपनी आम सभाएँ जो आपके उद्देश्य, आपके प्रचार और लोगोंके प्रशिक्षणके लिए जरूरी हों, करते रह सकते हैं तबतक आप इन दोनों कार्योंको बराबर करते रहें। उसके परिणामस्वरूप खतरे सामने आयेंगे। जबतक आप अपना कर्त्तव्य पूरा कर रहे हैं, तबतक आप चिन्ता

  1. साधन-सूत्र में निम्नलिखित प्रारम्भिक टिप्पणीके साथ प्रकाशित: "पिछली २९ दिसम्बरको बंगालके प्रतिनिधियों और महात्मा गांधीके बीच हुई वार्ताकी रिपोर्टका सम्पूर्ण पाठ।"