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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

“भेंट-वार्त्ता” नहीं देख पायेंगे, लेकिन अगर वे उसे देखें तो ‘यंग इंडिया’ का अगला अंक[१] देखनेकी कृपा अवश्य करें।[२]

आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे काॅनिकल, १७-१-१९२२

८५. कार्य-समितिका प्रस्ताव

१७ जनवरी, १९२२

१७ जनवरीको बम्बईमें[३] कांग्रेस कार्य समितिकी बैठक हुई। बैठकका उद्देश्य अन्य विषयोंके अलावा ‘मालवीय परिषद्की’ सिफारिशोंपर भी विचार करना था। इस विषयमें समिति द्वारा पास किया गया प्रस्ताव नीचे दिया जा रहा है:

वर्तमान तनावपर विचार करनेके लिए पण्डित मालवीयजी और उनके साथी आयोजकोंने देश के विभिन्न राजनीतिक दलोंके लोगोंकी जो परिषद् आयोजित की थी उसके लिए कार्य-समिति उन्हें धन्यवाद देती है, और परिषद्के प्रस्तावपर विचार करनेके बाद तय करती है कि अहमदाबाद कांग्रेस में जो आक्रामक सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करनेका निश्चय किया गया था वह आन्दोलन ३१ जनवरी १९२२ तक या ‘मालवीय परिषद्’ द्वारा नियुक्त समिति गोलमेज परिषद् के लिए सरकारसे जो बातचीत चलाने जा रही है, उसका परिणाम अगर ३१ जनवरी, १९२२ से पहले प्रकट हो जाये तो उस परिणामके प्रकट होने तक, प्रारम्भ न किया जाये।

एक सफल गोलमेज परिषद्के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से कार्य-समिति यह आवश्यक समझती है कि:

(क) ऐसी सभी विज्ञप्तियाँ और सूचनाएँ, जिनके द्वारा स्वयंसेवक दलोंके संगठनको और सार्वजनिक सभाओं, धरनेदारों और कांग्रेस तथा खिलाफत समितियोंकी सामान्य गतिविधियोंको गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
  1. देखिए “मालवीय परिषद्”, १९-१-१९२२।
  2. यह पत्र क्रॉनिकलमें इस टिप्पणीके साथ छपा था: “परिषद् तथा उसकी उपलब्धियोंपर महात्माजी से मेरी बातचीत के बारेमें उन्होंने जो वक्तव्य भेजा है, उसके सम्बन्धमें मैं कहना चाहता हूँ कि मेरी गलत- फहमीके कारण पाठकोंके मनपर एक बुरी छाप पड़ी। इसका मुझे बहुत दुःख है। इन परिस्थितियोंमें मैं खुशी-खुशी गलतीकी सारी जिम्मेदारी अपने सिर लेता हूँ। यहाँ मैं इतना बता देना चाहता हूँ कि महात्माजीने मुझे उदारतापूर्वक आश्वस्त किया है कि वे ऐसा नहीं मानते कि मैंने जान-बूझकर यह भ्रम फैलाया और समझनेकी इस भूलके लिए उन्होंने मुझे क्षमा भी कर दिया है――आपका विशेष संवाददाता।”
  3. न्यू इंडिया, १८-१-१९२२ के अनुसार यह बैठक गांधीजीके निवास स्थानपर हुई थी।