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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

इस कारण हम अपनी स्थितिपर चाहे जिस प्रकारसे विचार करें, हमें अपना कार्य शान्ति और प्रेमसे ही करना है। आज हम एक ओर तो जेल जानेकी इच्छा करते हैं और दूसरी ओर अदालतको शोरगुलसे डराना भी चाहते हैं। अब भी मेरे पास ऐसी शिकायतें आ ही रही हैं कि लोग कहीं-कहीं, जहाँ असहयोगी कैदियोंके मुकदमे होते हैं, अदालतोंमें घुस जाते हैं। इस हालतमें यदि अदालतें जेलमें ही बैठकर कार्रवाई करने लगें तो इसमें आश्चर्यकी क्या बात होगी?

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २९-१-१९२२

११७. आन्ध्र देशमें जागृति

२९ जनवरी, १९२२

यह लेख लिखनेकी तारीखतक [आन्ध्र] प्रदेश कांग्रेस कमेटीके मन्त्रीकी ओरसे ‘यंग इंडिया’ कार्यालयमें दो तार[१] आये हैं।

१. कल गुण्टूरमें आन्ध्र प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक हुई।...उसमें जिलेके विभिन्न भागोंसे बहुतसे रैयत भी शामिल हुए थे। पेडारंडीपाडुके आसपासके पचास गाँवोंके लोग जिस उत्साह और निष्ठासे काम कर रहे हैं, उसका बहुत सजीव चित्र प्रस्तुत किया गया। हर गाँव में बहुत-से वयस्क पुरुष स्वयंसेवक सेनामें भरती हुए हैं। इनमें कुछ बड़े-बूढ़े लोग भी शामिल हैं। ये सब सिरसे पैरतक खादीकी पोशाक पहनते हैं। सभी सेवाकार्य में जुटे हुए हैं। वहाँ तैनात सैनिकोंने कभी-कभी बहुत उत्तेजनात्मक कार्य किये हैं। लोगोंकी चल सम्पत्तिकी कुर्की कर दी गई है, तनिक भी संयम और नरमीका परिचय दिये बिना मन-माने तरीकेसे उनके बैल और गाड़ियाँ छोन ली गई हैं। किन्तु इस सबके बावजूद वे अहिंसा-धर्मका कठोरतासे पालन करते रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लगभग सभी गाँवों में सभी ग्राम-अधिकारियोंने अपने पद त्याग दिये हैं। दूसरे क्षेत्रोंके ग्राम-अधिकारियों द्वारा भी पद-त्याग किये जानेका विवरण दिया गया। काफी विचार-विमर्श के बाद कार्य-समितिने विशेष एहतियाती कदमके तौरपर निम्नलिखित प्रस्ताव स्वीकार किया: “इस समितिकी राय है कि गण्टूर जिला कांग्रेस कमेटोको अपने पूर्व निश्चयके अनुसार लगानबन्दी अभियानको कई ताल्लुकों में एक ही साथ चलाने के बजाय उसका क्षेत्र सीमित कर देना चाहिए और इस बातकी जाँच करनेके लिए कि उस सीमित क्षेत्रमें दिल्लीमें तय की गई शर्तें कहाँतक पूरी की जा रही हैं, और फिर अन्तिम रूपसे लगानबन्दी
  1. उक्त तारोंके कुछ अंश हो यहाँ दिये जा रहे हैं।