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१२०.बारडोली ताल्लुकेके पटलों से

बारडोली

३० जनवरी, १९२२

कल बारडोली ताल्लुकेकी परिषद्ने गम्भीर कदम उठाया है और अपने ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी ले ली है । हम आशा रखते हैं कि धर्म और देशके इस कार्य में वहाँके पटेल[१] पूरा-पूरा योगदान देंगे। कुछ पटेलोंने त्यागपत्र देनेका विचार प्रकट किया है। हमें उम्मीद है कि प्रत्येक पटेल अब सरकारका नहीं, वरन् कौमका पटेल बनेगा। हम आशा करते हैं कि उनके त्यागपत्र जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी हमारे पास पहुँच जायेंगे ।

सरकार अपने पापोंका प्रायश्चित्त करेगी और शुद्ध बनेगी, इस ओरसे हम अभी बिलकुल निराश नहीं हुए हैं। इसलिए त्यागपत्रोंको तुरन्त ही सरकारके पास भेजनेका हमारा इरादा नहीं है; लेकिन जब सविनय अवज्ञा आरम्भ हो जायेगी तब हम इन्हें सरकारको भेज देना चाहते हैं । इस बीच हमें अपनी तैयारी इस अन्दाजसे करनी चाहिए मानो हमें आज ही सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करना है। इसलिए प्रत्येक पटेल बिना ढील किये हमें अपना त्यागपत्र दे देगा, हम ऐसी आशा करते हैं ।

मोहनदास करमचन्द गांधी

विट्ठलभाई झवेरभाई पटेल

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, २-२-१९२२

१२१. भाषण : सूरतकी सार्वजनिक सभामें[२]

३१ जनवरी, १९२२

डाक्टर चोइथरामने[३] आपको बताया कि सम्भव है मुझे सरकार दस-एक दिनमें जेल भेज दे, और इस कारण आपने मुझसे मिलनेकी इच्छा प्रकट की । किन्तु मुझे कहना चाहिए कि मुझे इस समय जेल जानेकी बिलकुल इच्छा नहीं है । मैं तो गोली खाकर मरना चाहता हूँ, फाँसीपर चढ़ना चाहता हूँ और मेरी इच्छा है कि

  1. गाँवोंके मुखियागण जो सरकारको किसानोंसे लगान वसूल करने में सहायता देते थे ।
  2. भाषण जिस मानसिक परिस्थितिमें दिया गया था उसकी जानकारीके लिए देखिए “मेरा सूरतका भाषण", ५-२-१९२२ ।
  3. डाक्टर चोइथराम गिडवानी; सिन्धके कांग्रेसी नेता; सिन्ध प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष और बाद में संसदके सदस्य ।